Hartalika Teej 2024 | हरतालिका तीज 2024 शुभ मुहूर्त टाइम कब है जानिए कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न

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हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत और त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी राज्यों, खासकर उत्तर भारत, नेपाल, और कुछ अन्य हिस्सों में महिलाएं बड़े ही धूमधाम से मनाती हैं। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना और उनकी असीम भक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हरतालिका तीज का पर्व विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे पति की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
Hartalika Teej 2024 हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त टाइम
Hartalika Teej 2024 हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त टाइम

हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज का महत्व मुख्य रूप से इसके धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है और अविवाहित लड़कियों को योग्य वर की प्राप्ति होती है। यह पर्व नारी शक्ति और उनकी भक्ति का प्रतीक भी है।

हरतालिका तीज की पौराणिक कथा

हरतालिका तीज की उत्पत्ति के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार, देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता हिमालय ने उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर उनका विवाह भगवान विष्णु से कराने का निर्णय लिया। जब देवी पार्वती को यह बात पता चली, तो वह बहुत व्यथित हुईं और अपनी एक सखी के साथ घने जंगल में चली गईं। वहां उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और विवाह का वरदान दिया। कहा जाता है कि उसी दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। इस घटना के कारण ही इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है।
हरतालिका तीज का व्रत
हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही कठोर और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निराहार और निर्जल व्रत रखती हैं। इस व्रत को 'निर्जला व्रत' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पूरे दिन और रात कुछ भी खाना या पीना वर्जित होता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति असीम भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।

व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले होती है और इसका समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा और प्रसाद ग्रहण करने के साथ होता है। इस व्रत को करने के लिए महिलाएं पूरी रात जागरण करती हैं और भजन-कीर्तन में शामिल होती हैं। इस व्रत में सतीत्व और भक्ति का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है।

हरतालिका तीज की पूजा विधि

हरतालिका तीज की पूजा विधि में मुख्य रूप से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत प्रातःकाल में स्नान करने के बाद होती है। पूजा स्थल को स्वच्छ करके, वहां भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियों या चित्रों की स्थापना की जाती है।

पूजा में विशेष रूप से सुहाग सामग्री जैसे सिंदूर, चूड़ियाँ, मेंहदी, बिंदी, साड़ी आदि का प्रयोग किया जाता है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। पूजा के दौरान महिलाएं शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं और उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा लेती हैं।

पूजा के अंत में, आरती की जाती है और महिलाओं को विशेष प्रसाद का वितरण किया जाता है। प्रसाद में मुख्य रूप से मिठाइयाँ, फल, और तीज के विशेष व्यंजन होते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद, व्रतधारी महिलाएं अगले दिन सूर्योदय के बाद ही जल और भोजन ग्रहण करती हैं।

हरतालिका तीज का सांस्कृतिक महत्व
हरतालिका तीज का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह त्योहार महिलाओं के बीच एकता, स्नेह और भक्ति की भावना को मजबूत करता है। इस दिन महिलाएं सुंदर परिधानों में सज-धज कर मंदिरों में जाती हैं, जहां वे सामूहिक रूप से पूजा और भजन-कीर्तन करती हैं। त्योहार के अवसर पर लोकगीत गाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शिव और पार्वती के मिलन और उनके जीवन की कथाओं का वर्णन होता है। 

हरतालिका तीज के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान
हरतालिका तीज के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों में मेंहदी लगाने, नए कपड़े पहनने, और सुंदर आभूषणों से सुसज्जित होने का रिवाज है। महिलाएं इस दिन मेंहदी की विभिन्न डिजाइनों का उपयोग करती हैं, जो इस त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा है। यह विश्वास है कि मेंहदी का गाढ़ा रंग पति और परिवार के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है।

हरतालिका तीज व्रत 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त टाइम

हरतालिका तीज : शुक्रवार, 6 सितंबर 2024 के शुभ मुहूर्त :
भाद्रपद शुक्ल तृतीया का प्रारंभ- गुरुवार, 05 सितंबर 2024 को दोपहर 12:21 मिनट से।
तृतीया तिथि का समापन- शुक्रवार, 06 सितंबर 2024 को दोपहर 03:01 मिनट पर।
प्रातःकाल पूजा मुहूर्त- 06:02 से 08:33 तक।
कुल अवधि - 02 घंटे 31 मिनट्स
06 सितंबर 2024, शुक्रवार : दिन का चौघड़िया
चर - प्रात: 06:02 से 07:36 
लाभ - सुबह 07:36 से 09:10 
अमृत - सुबह 09:10 से 10:45 
शुभ - दोपहर 12:19 से 01:53 
चर - शाम 05:02 से 06:36 तक। 
रात्रि का चौघड़िया
लाभ - रात 09:28 से 10:54 
शुभ - अर्धरात्रि 12:19 से 07 सितंबर 01:45 
अमृत - 01:45 ए एम से 07 सितंबर 03:11 तक। 
चर - 03:11 ए एम से 07 सितंबर 04:36 तक।
शुभ योग 
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:30 से 05:16 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:53 ए एम से 06:02 तक।
अभिजित मुहूर्त: प्रात: 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 से 03:15 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:36 से 06:59 तक।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:36 से 07:45 तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:56 से 7 सितंबर 12:42 तक।
रवि योग: सुबह 09:25 से अगले दिन सुबह 06:02 तक।
हरतालिका तीज का सामाजिक और धार्मिक प्रभाव
हरतालिका तीज न केवल एक धार्मिक व्रत है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के महत्व को भी दर्शाता है। यह व्रत महिलाओं को आत्मविश्वास, भक्ति और अपने परिवार के प्रति समर्पण की भावना को और अधिक मजबूत करता है। इसके अलावा, यह त्योहार समाज में नैतिक मूल्यों और आदर्शों को भी प्रसारित करता है। 

हरतालिका तीज का व्रत और पूजा विधि महिलाओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्रदान करती है। यह त्योहार न केवल उनके आत्मबल को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें पारिवारिक जीवन में धैर्य, प्रेम और समझ का महत्व भी सिखाता है।
Hartalika Teej 2024 | हरतालिका तीज 2024 शुभ मुहूर्त टाइम कब है जानिए कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न

निष्कर्ष
हरतालिका तीज का त्योहार एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका और उनके धार्मिक जीवन में भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, बल्कि वे अपने जीवन में संतुलन और धैर्य बनाए रखने के लिए भी इस पर्व को मनाती हैं। हरतालिका तीज का यह पर्व नारी शक्ति, भक्ति, और समर्पण का एक अद्वितीय उदाहरण है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है और आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करता रहेगा।

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