हरितालीका तीज में फुलहरा (फुलेरा) का महत्व | फुलहरा कैसे बनाएं
हरितालिका तीज, नेपाल और भारत के विभिन्न राज्यों में मनाई जाने वाली महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, और इसके अवसर पर फुलहरा (फुलेरा) का महत्व होता है। इस त्योहार में महिलाएं विशेष रूप से भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। फुलहरा, जिसे फुलेरा भी कहा जाता है, हरितालिका तीज के दिन महिलाएं विभिन्न प्रकार के फूलों के माला बनाती हैं और इन्हें पूजा में उपयोग करती हैं।हरितालीका तीज में फुलहरा
फुलहरा का महत्व इस प्रक्रिया में होता है क्योंकि यह पूजा के साथ ही सौंदर्यिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। महिलाएं फूलहरा बनाने के दौरान गाने गाती हैं और दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर त्योहार का आनंद उठाती हैं। यह एक साथ आने वाले खुशियों का प्रतीक भी होता है और महिलाओं के लिए उनके पतिव्रत्यता और परिवार के लिए अपने कर्तव्यों का पालन का प्रतीक भी होता है।
एक और मान्यता के अनुसार हरितालिका में फुलहरा (फुलेरा) का विशेष महत्व है। यह एक प्राकृतिक फूलों और पत्तियों से बना मंडप होता है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बनाया जाता है। फुलहरे में पांच प्रकार के फूलों की माला बांधी जाती है, जो भगवान शिव की पांच पुत्रियों जया, विजया, ईशानी, अमृता और त्रिपुरसुंदरी का प्रतीक हैं।
फुलहरा कैसे बनाएं
फुलहरे को बनाने के लिए आमतौर पर निम्नलिखित फूलों और पत्तियों का उपयोग किया जाता है:
फूल: बेलपत्र, सागौन, चंपा, गुलाब, चमेली, कनेर, मोगरा, आदि।
पत्तियां: आम, पीपल, बरगद, अशोक, आंवला, नीम, आदि।
फुलहरे को बनाने के लिए सबसे पहले बांस की पतली लकड़ियों को छिलकर साफ कर लिया जाता है। फिर इन लकड़ियों को एक-दूसरे से जोड़कर एक मंडप का आकार बनाया जाता है। इस मंडप में फूलों और पत्तियों को सजाकर फुलहरा तैयार किया जाता है।
हरितालिका तीज में फुलहरे का महत्व निम्नलिखित है:
- यह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए एक आवश्यक सामग्री है।
- यह एक शुभ प्रतीक है, जो सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली का आशीर्वाद देता है।
- यह भगवान शिव की पांच पुत्रियों जया, विजया, ईशानी, अमृता और त्रिपुरसुंदरी को समर्पित है।
हरितालिका तीज के दिन महिलाएं फुलहरे की पूजा करती हैं और भगवान शिव से अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।