हरतालिका तीज व्रत के नियम और कहानी
हरतालिका तीज व्रत की कहानी
हरतालिका तीज व्रत की कथा के अनुसार, एक समय में हिमालय पर्वत पर पार्वती नाम की एक कन्या रहती थी। वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, लेकिन उसके पिता ने उसे एक राजकुमार से विवाह करने का फैसला किया। पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। वह तीन दिन तक बिना भोजन और पानी के रही और भगवान शिव की पूजा करती रही।
तीसरे दिन, भगवान शिव ने पार्वती को दर्शन दिए और उसे पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया। पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि जो भी महिला हरतालिका तीज का व्रत रखेगी, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
हरतालिका तीज व्रत के नियम | Hartalika Teej ke niyam
हरतालिका तीज व्रत निम्नलिखित नियमों के अनुसार रखा जाता है:
- यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है।
- व्रत रखने वाली महिला को सुबह से ही निर्जला रहना चाहिए।
- व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
- पूजा में पंचामृत, बेलपत्र, धूप, दीप, फूल, आदि अर्पित किए जाते हैं।
- व्रत के दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं।
- व्रत का पारण अगले दिन चतुर्थी तिथि को किया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत के महत्व
हरतालिका तीज व्रत को सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति का प्रतीक है।