रसल्लो / बोहार भाजी खाने के 6 फायदे और नुकसान | Rasallo Bohar Bhaji khane ke fayde nuksan

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रसल्लो / बोहार भाजी खाने के 6 फायदे और नुकसान | Bohar Bhaji khane ke fayde nuksan 

भारत के मध्य क्षेत्र में पाई जाने वाली रसल्लो / बोहार भाजी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुत ही लोकप्रिय भाजी है। यह गर्मी के समय एक पेड़ पर फूल के रूप में बाहर निकलती है यहां के रहवासी इससे बड़ी रुचि के साथ खाते हैं। यह खाने में थोड़ी कसैली होती है लेकिन जब इसे सब्जी और भाजी की तरह बनाया जाता है तो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है।

रसल्लो / बोहार भाजी - Rasallo Bohar Bhaji
रसल्लो / बोहार भाजी - Rasallo Bohar Bhaji

रसल्लो / बोहार भाजी पूरे साल में कुछ ही महीनों में मिलती है इसी कारण यह भाजी मार्केट में महंगी बिकती है। इसके रेट बाजार में 200 से ₹500 किलो तक पहुंच जाते हैं। रसल्लो / बोहार एक पेड़ में उगती, एक पेड़ में कई शाखाएं होती है और हर एक शाखाओं में भाजी गोल-गोल दानों के रूप में निकलती है जैसा कि आप चित्र में देख सकते हैं। जो भाजी बहुत मुलायम और नरम पत्तियों वाली होती है उसे अच्छी गुणवत्ता वाली भाजी माना जाता है।

रसल्लो / बोहार भाजी खाने के फायदे और नुकसान

1: बोहार भाजी के फूल, फल, कली तथा पत्तियों से सब्जी, फल से अचार, इसके पके फल से एक चिपचिपा द्रव्य निकलता है, जिसका उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। 

2: बोहार भाजी में पोषक तत्व भरपुर मात्रा में पाए जाते हैं। 

3: यह पाचन तंत्र में सुधार, कफ तथा दर्द को दूर करने वाला तथा 

4: इसकी तासीर ठंडी होती है। शरीर को शीतलता प्रदान करती है। 

5: इसके छाल का उपयोग खुजली उपचार के लिए किया जाता है 

6: तथा कृमि को खत्म करने में भी यह सहायक है।5

रसल्लो / बोहार भाजी खाने के नुकसान

10 आलू भाजी से कोई खास नुकसान तो नहीं है लेकिन कभी-कभी यह कुछ लोगों को नुकसान कर सकती है जिन लोगों की तासीर ठंडी होती है उनके लिए यह भाजी नुकसानदायक हो सकती है इसीलिए रसल्लो / बोहार भाजी के सेवन से पहले अपनी तासीर के बारे में समझ ले क्योंकि इसकी की तासीर ठंडी होती है।

रसल्लो / बोहार भाजी की खेती

किसी भी जगह की खान-पान का तरीका वहां की प्राकृतिक तथा भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है, छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मैदानी और जंगली इलाके ज्यादा है, जिसके कारण सब्जियों में भाजी का अधिकतम उपयोग होता है।

भाजियों में पालक, मेंथी, लाल भाजी, चौंलाई साथ ही कई प्रकार की लोकल भाजी जैसे तिनपनिया, चरौटा, कोईलार, बथुआ, तिवरा भाजी, मुनगा भाजी, चना, प्याज, खोटनी, गोभी, जरी, मूली, करमत्ता, कांदा, बर्रे, कौना केनी, कंदईल, उरला, पटवा, चेंच, अमारी भाजी, घमरा, सरसों, सिलियारी, खट्टा, सिंगारी, गोल, चनौरी, गुमी, भाजियां यहां लोकप्रिय है, और इन्हीं में से बोहार भाजी (कार्डिया डाइकोटोमा) एक लोकप्रिय और महंगी भाजी है। जिसे अंग्रेजी में बर्ड लाईम ट्री, इंडियन बेरी, ग्लूबेरी भी कहा जाता है। भारत के कई राज्यों में इसे अन्य नामों जैसे लसोड़ा, गुंदा, भोकर आदि नामों से जाना जाता है।

रसल्लो / बोहार भाजी पर वैज्ञानिक अनुसंधान

छत्तीसगढ़ की बोहार भाजी के स्वाद, रुचि व कीमत को देखते हुए कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र ढोलिया बेमेतरा में विगत दो वर्षों से बोहार भाजी के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। बेमेतरा जिले के रहवासी किसानों ने इसके पौधे खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। यदि किन्हीं को ज्यादा मात्रा में बोहार भाजी के पौधे की आवश्यकता हो तो कृषि महाविद्यालय, ढोलिया में अग्रिम आदेश दें ताकि उस हिसाब से पौधे तैयार किए जा सके।

रसल्लो / बोहार भाजी - Rasallo Bohar Bhaji
रसल्लो / बोहार भाजी - Rasallo Bohar Bhaji

किसी भी नई भाजी का सेवन करने से पहले अपनी मेडिकल स्थिति को अच्छी तरह जान लें यदि आपको किसी भी तरह की शारीरिक तकलीफ है तो कोई भी भाजी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।

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