महाशिवरात्रि पूजन सामग्री और शिवरात्रि पूजा विधि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार फागुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महाशिवरात्रि भगवान शिव शंकर का पर्व मनाया जाता है। शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शंकर धरती पर सभी शिवलिंग में विराजमान रहते हैं ऐसे में जो भी भगवान शिव शंकर के सच्चे भक्त हैं शिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करते हैं। माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने और उन पर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान भोले शंकर प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री और शिवरात्रि पूजा विधि |
भगवान शिव को भोलेनाथ, गंगाधर, नटराज, महाकाल, मृत्युंजय, विश्वनाथ, शिवशंभू, बैजनाथ, महेश, महादेव, देवाधिदेव, भोले भंडारी, नीलकंठ, शंकर जैसे दर्जनों नामों से पुकारा जाता है. प्राचीन लोक कहानी और किवदंतियों के अनुसार भक्तगण पूर्ण समर्पण भाव से स्वयंभू शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं, उनकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Mahashivratri Puja Samagri Shivratri Puja Vidhi
यदि आप भी भगवान शिवशंकर को खुश करना चाहते हैं तो नीचे बताए गए तरीके से महाशिवरात्रि की पूजा कीजिए और महाशिवरात्रि में जो पूजन सामग्री उपयोग में लाई जाती है उसके बारे में भी जानकारी नीचे दी गई है ताकि आपको भगवान शिव की पूजा करने में किसी भी तरह की समस्या ना हो।
महाशिरात्रि पूजन सामग्री
- शिव जी की तस्वीर या छोटा शिवलिंग, बेलपत्र
- धतूरा, भांग
- मदार पुष्प, फूलों की माला, शमी के पत्ते
- कमल और सफेद फूल
- शहद, बेर, मौसमी फल, खस
- मौली, रक्षा सूत्र, भस्म, अभ्रक, कुश का आसन
- महाशिवरात्रि व्रत कथा, शिव चालीसा, शिव आरती की पुस्तक
- भोग के लिए हलवा, ठंडाई, लस्सी, मालपुआ आदि
- पूजा के बाद हवन सामग्री
- गंगाजल, महादेव के लिए वस्त्र
- गाय का दूध, दही, शक्कर
- जनेऊ, चंदन, केसर, अक्षत्
- दान के लिए कंबल, वस्त्र, अन्न, गुड़, घी, फल आदि
- माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री, साड़ी
- इत्र, लौंग, छोटी इलायची, पान, सुपारी
- परिमल द्रव्य, रत्न, आभूषण
- आरती के लिए दीपक, गाय का घी, कपूर
यदि आप ऊपर बताई गई सारी सामग्री एकत्रित नहीं कर पाते हैं तो आप नीचे दी गई कुछ सामग्री को एकत्रित करके भगवान शिव शंकर की पूजा महाशिवरात्रि के दिन कर सकते हैं। इससे आपकी पूजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
- फूल
- बेलपत्र
- गंगाजल/साफ जल
- दूध
- भांग
- इत्र
- अक्षत
- अगरबत्ती
- फल आदि
महाशिवरात्रि पर पूजा करने से पहले सुबह की नहा लें और साफ-सुथरे कपड़े डालें। इस दिन गंदे कपड़े ना डालें।
किसी भी तरह के मीठ-मास खाने से बचें।
खुद से साथ-साथ घर की सफाई भी करें।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
पूजा विधि 1:
महाशिवरात्रि पर शिवभक्त सुबह स्नानादि करके शिवमंदिर जाएं।
पूजा में चन्दन, मोली ,पान, सुपारी,अक्षत, पंचामृत,बिल्वपत्र,धतूरा,फल-फूल,नारियल इत्यादि शिवजी को अर्पित करें।
भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं।
'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें।
रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए।
दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें।
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पूजा विधि 2: महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं. जिसके बाद भगवान को केसर युक्त जल के 8 लोटे जल चढ़ाए. संभव हो सके तो पूरी रात महादेव के समक्ष अखंड ज्योत जलाकर रखें. भगवान भोलेनाथ को चंदन का तिलक लगाएं.
तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, तुलसी, जायफल, कमलगट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा अर्पण करें। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का नैवेद्य अर्पित कर प्रसाद वितरित करें.
पूजा में सभी सामग्री अर्पित करते हुए ओम नमो भगवते रुद्राय, ओम नमः शिवाय रुद्राय शंभवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.
महाशिवरात्रि मंत्रोच्चारण:
महाशिवरात्रि के दिन “ओम नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण अत्यंत फलप्रद होता है.यह मंत्र ऊर्जा का स्तर ऊपर उठाता है। इस मंत्र में ओम की ध्वनि ब्रह्मांड की ध्वनि होती है। इसका अर्थ है प्रेम एवं शांति. नमः शिवाय के पांच अक्षर, “न” “म”, “शिव”, “वा” “य” पांच तत्वों अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश की ओर इंगित करते हैं।
अगर आप इसके अलावा महाशिवरात्रि से जुड़ी कोई और जानकारी लेना चाहते हैं तो इस आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में सवाल जरूर करें।
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