नर्मदा परिक्रमा मार्ग | Narmada Parikrama Marg
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मध्य प्रदेश के अमरकंटक स्थल से नर्मदा नदी का उद्गम होता है अमरकंटक से होते हुए नर्मदा नदी मध्य प्रदेश को पार करके गुजरात की खंभात की खाड़ी में मिल जाती है नर्मदा नदी के तट पर बहुत से प्राचीन तीर्थ और नगर हैं जिनका प्रमाण हिंदू पुराणों में मिलता है हिंदू पुराण के अनुसार नर्मदा नदी को रेवा नदी भी कहा जाता है नर्मदा नदी की परिक्रमा बहुत ही महत्व है जिन्हें हिंदू पुराणों में दर्शाया गया है।
माँ नर्मदा की परिक्रमा
मां नर्मदा की परिक्रमा रहस्य और रोमांच से भरी हुई होती है हिंदू पुराणों में मां नर्मदा का एक अलग ही खंड है जिसका नाम रेवाखंड है रेवाखंड में विस्तार से नर्मदा परिक्रमा का उल्लेख मिलता है हिंदू धर्म में नर्मदा परिक्रमा का बहुत ही महत्व है पुराणों में परिक्रमा का अर्थ किसी स्थान का चक्कर लगाना होता है नर्मदा परिक्रमा में पूरी नर्मदा नदी की परिक्रमा लगाई जाती है। जो लोग नर्मदा की परिक्रमा करते हैं उन्हें परिक्रमावासी कहा जाता है। लोगों की माने तो मां नर्मदा की परिक्रमा 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूरी होती है कुछ लोग इसे 108 दिन में भी पूरा करते हैं परिक्रमा वासी 1312 किलोमीटर के दोनों तटों पर निरंतर पैदल-पैदल चलते हुए मां नर्मदा की परिक्रमा पूरी करते हैं।
नर्मदा की परिक्रमा मार्ग - Narmada Parikrama Marg
नर्मदा परिक्रमा मार्ग पैदल यात्रा परिक्रमा वासियों के लिए
नर्मदा परिक्रमा वाहन मार्ग बस चार मोटर साइकिल
नर्मदा परिक्रमा वाहन मार्ग |
नर्मदा परिक्रमा पूर्ण हो जाने पर लोग भगवान शंकर के स्थान पर जाकर अभिषेक करते हैं और पूजा करते हैं मां नर्मदा में कढ़ाई चाहते हैं कन्याओं को भोजन कराते हैं और मां नर्मदा से प्रार्थना करते हैं।
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