हनुमान चालीसा कहां लिखी गई थी 🚩किसने लिखी थी हनुमान चालीसा - Hanuman chalisa kahan likhi gai thi - Hanuman chalisa kisne likhi thi
हनुमान चालीसा की उत्पत्ति
राम भक्त हनुमान को संकटमोचन, महावीर हनुमान, अंजनी कुमार भी कहा जाता है। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करे, तो उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि हनुमान चालीसा में इतनी शक्ति है, कि अगर आप इसे पूरे मन से और नियमित रूप से पढ़ें, तो बड़े से बड़ा कष्ट दूर हो सकता है और साथ ही कष्ट दायक बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है। भूत-पिशाच का साया भी आस-पास नहीं भटकता है। पितृदोष, मंगलदोष आदि से भी मुक्ति मिल सकती है। इसीलिए हनुमान जी के जो भक्त हैं वे प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी प्रकार की मुश्किलें और रास्ते में आने वाली बाधाओं को हर लेते हैं हनुमान चालीसा के जाप से भूत किसानों को भी दूर भगाया जा सकता है कहने का मतलब यदि आपके अंदर कोई डर समाया हुआ है तो आप उसे हनुमान चालीसा का पाठ करके दूर भगा सकते हैं।Hanuman chalisa kahan likhi gai thi - Hanuman chalisa kisne likhi thi |
हनुमान चालीसा कहां लिखी गई थी
अकबर की जेल में लिखी थी चालीसा: कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना अकबर की जेल में की थी। जब तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस लिखी, तो उनकी ख्याति दूर-दूर तक हो गई। तुलसीदास जी की ख्याति और रामचरितमानस की श्रद्धा को देखकर अकबर ने अपने सिपाही भेजकर तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलवाया। जब तुलसीदास जी वहां पहुंचे तो अब्दुल रहीम खान-ए-खाना और टोडर मल ने उनसे अकबर की तारीफ में ग्रंथ लिखने को कहा। लेकिन तुलसीदास जी ने ऐसा करने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर अकबर ने उन्हें कैद कर जेल में डलवा दिया।किसने लिखी थी हनुमान चालीसा
कहा जाता है कि जेल में बंद रहकर ही तुलसीदास जी को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मिली और उन्होंने इसकी रचना की। चालीसा की महिमा से अकबर भी रह गया हैरानएक दिन अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से अपने दरबार में बुलवाया और कहा कि, “मिलवाओ अपने श्रीराम से। मैं भी देखना चाहता हूं उनका चमत्कार।” तब तुलसीदास जी ने कहा कि, “हमारे श्रीराम यूं ही किसी से नहीं मिलते। उनसे मिलने के लिए मन में श्रद्धा और भक्ति का होना जरूरी है।” इस पर अकबर फिर से क्रोधित हो गया और तुलसीदास जी को दोबारा कारागार में डालने का आदेश दिया।
तब तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की । चालीसा का पाठ शुरु होते ही, फतेहपुर सीकरी दरबार और कारागार के पास ढेर सारे बंदर इकठ्टे होने लगे और उत्पात मचाना शुरु कर दिया। यह देखकर अकबर भी हैरान रह गया। इसके बाद उसके सलाहकारों ने उसे तुलसीदास जी को मुक्त करने की सलाह दी, और साथ ही यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो समस्या बढ़ सकती है। मजबूर होकर अकबर को तुलसीदास जी को रिहा करना पड़ा।
हनुमान चालीसा उत्पत्ति
इस कहानी से यह सिद्ध हो जाता है कि हनुमान जी की महिमा अपार है और जो भी भक्त सच्चे मन से दिन में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो ऐसे भक्तों से हनुमान जी हमेशा ही प्रसन्न रहते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कुछ लोग अपनी काम में व्यस्तता के कारण हर दिन हनुमान चालीसा पढ़ने का टाइम नहीं निकाल पाते इसीलिए। ऐसे भक्तों से आग्रह किया जाता है कि दिन में एक बार समय निकालने की कोशिश करें, और कोशिश के बाद भी आपसे समय नहीं निकल पा रहा है तो कोशिश करें हफ्ते में दो बार हनुमान चालीसा का पाठ के लिए समय निकालने की। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय हनुमान चालीसा का पाठ 5 से 6 मिनट में हो जाता है आज के समय में तो इंटरनेट के आ जाने के कारण हनुमान चालीसा को कहीं से भी डाउनलोड करके आसानी से पढ़ा जा सकता है।हनुमान जी से जुड़ी यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइएगा ताकि हम आपसे और भी प्रेरित होकर आगे भी आपके लिए इसी तरह की आध्यात्मिक कहानियां लाते रहे अब आप समझ गए होंगे की हनुमान चालीसा किसने लिखी और हनुमान चालीसा कहां लिखी गई थी के बारे में पूरी जानकारी। जय हनुमान 🚩जय बजरंग बली हनुमान 🚩