अनंत चतुर्दशी क्यों मनाते हैं क्या हुआ था इस दिन | Anant Chaturdashi kyon manae jaati hai
Why is anant chaturdashi celebrated
अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु को समर्पित एक दिन है। भगवान विष्णु को उनके शाश्वत रूप - अनंत में पूजा करने का यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है। भगवान विष्णु के भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और "अनंत सूत्र" नामक एक पवित्र धागा बांधते हैं, जो शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करते हैं।
भगवान विष्णु |
अनंत चतुर्दशी की कथा कहानी | Anant chaturdshi ki Katha kahani
वेद पुराणों की मानें तो महाभारत की एक कहानी के अनुसार जब कौरवों ने छल करके जुएं में पांडवों को हरा दिया था इसके बाद सभी पांडवों को अपना राजपाट छोड़कर वनवास जाना पड़ा था। वनवास में पांडवों को बहुत कष्ट सहना पड़ रहा था ऐसे में जब 1 दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने जंगल में आए तो बड़े भाई युधिष्ठिर ने पूछा कि इस पीड़ा से कैसे निकला जाए और दोबारा राज पाठ कैसे प्राप्त किया जाए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें इस पर युधिष्ठिर ने अनंत भगवान के बारे में और जिज्ञासा प्रकट की तो कृष्ण जी ने उन्हें बताया कि वह भी भगवान विष्णु का ही एक रूप है। चतुर्थ मास में भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर अनंत सैया या विश्राम करते हैं इस मुद्रा में उनके आदि और अनंत का कोई पता नहीं चलता इसीलिए इन्हें अनंत कहा गया है। इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। तब युधिष्ठिर ने सपरिवार, पत्नी समेत यह व्रत किया इस व्रत को करने के बाद उनके सभी कष्ट दूर हुए और हस्तिनापुर का राज पार्ट उन्हें फिर से प्राप्त हुआ।
इस दिन लोग 14 गठानें लगा कर अनंत धागा अपने हाथों में बांधते हैं। इसी के बाद से अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के भक्त अनंत चतुर्दशी का उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु का स्मरण करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं शारीरिक कष्ट दूर भागते हैं और भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इसके बाद से ही प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी को गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद मनाया जाने लगा और भक्त धूमधाम से इस व्रत में हिस्सा लेने लगे अब आप समझ गए होंगे कि अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है।
note- ऊपर दी गई जानकारी को वेदों पुराणों और महाभारत की कहानियों से लिया गया है इसमें त्रुटि होने पर हमारी वेबसाइट की कोई जिम्मेदारी नहीं है।