महानिशा पूजा विधि | महानिशा पूजा क्या है | Mahanisha puja vidhi

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महानिशा पूजा विधि | महानिशा पूजा क्या है | Mahanisha puja vidhi

आज हम जानेंगे कि महानिशा पूजा विधि क्या है और आखिर महानिशा पूजन क्यों किया जाता है।

महानिशा पूजा विधि  महानिशा पूजा क्या है  Mahanisha puja vidhi

महानिशा पूजा- नवरात्रि एक बहुत ही पावन पर्व है माता रानी के भक्त बेसब्री से नवरात्रि का इंतजार करते हैं ताकि नवरात्रि आते ही माता रानी के भक्त अपने रुके हुए शुभ कामों को पूर्ण कर पाए। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है इन्हीं 9 दिनों में दुर्गा अष्टमी का दिन भी आता है इस दिन छोटी कन्याओं को भोजन कराकर उपहार दिया जाता है।

महानिशा पूजा के दिन माता के काली और महागौरी रूप की पूजा की जाती है ये देवी श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं दाहिनी और ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है। तो वही नीचे वाले हाथ में माता रानी त्रिशूल धारण करती हैं। बायीं और ऊपर वाले हाथ में डमरू रहता है तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है। और मां काली गले में नर मुंडो की माला पहनती हैं, हाथ में रक्त का प्याला रखती हैं, त्रिशूल और तलवारें भी रखती हैं।

महानिशा पूजा का महत्व

नवरात्रि के 9 दिनों की पूजा में महानिशा पूजा को बहुत महत्व दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस दिन रात्रि जागरण करके माता रानी की पूजा की जाती है। ऐसा करने से मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन तंत्रिका पूजा भी की जाती है और बलि भी दी जाती है। बलि पूर्णता सात्विक होती है। जो लोग रोग से परेशान हैं वो इस रात्रि को नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर पर पूजा कर सकते हैं। ऐसा करने पर उन्हें बहुत लाभ मिलेगा।

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महानिशा पूजा विधि

अब हम आगे जानेंगे कि महानिशा पूजा किस तरह से करनी चाहिए।

1. सबसे पहले तो रात्रि के समय ही स्नान आदि करके अपने शरीर को पूरी तरह से शुद्ध कर लें।

2. एक साफ सुथरा आसन लें और उस पर आराम से बैठ जाएं।

3. माता रानी के चरणों के पास एक कलश की स्थापना करें और उसे जलाएं।

4. कलश स्थापना के बाद माता रानी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

5. हाथ में फुलवा अक्षत लें और देवी के आगमन के पश्चात उन्हें उनके कोमल व सजावट वाले सिंहासन पर विराजमान करें और प्रार्थना करें।

6. इसके बाद माता रानी की मूर्ति या चित्र मैं उनके चरण को साफ-सुथरे जल से धोएं।

7. चरण धोने के बाद मां देवी के हाथों पर जल डालें।

8. माता रानी को स्नान कराने के लिए तांबे के पात्र में जल लेकर फूल से माता रानी के ऊपर जल छिड़क कर माता रानी को स्नान कराएं

9. इसके बाद माता रानी को पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाएं।

10. इसके बाद माता रानी का सोलह श्रृंगार करें।

11. इसके बाद माता को इत्र हल्दी कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद फुल बिल पत्र अर्पित करें। मां के आगे धूप और घी का दीपक लगाएं इसके बाद मां को मिठाई का भोग लगाएं।

12. आखिर में माता रानी का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें और अब मां की परिक्रमा लगाएं। परिक्रमा लगाते समय मन में माता रानी का ध्यान करें।

13. आखिर में पूरी पूजा समाप्त हो जाने के बाद पूजा में हुई किसी भी तरह भूल के लिए माता रानी से क्षमा मांगे और प्रणाम करें।

महानिशा पूजा करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के रोग से जूझ रहा है तो उसे सारे रोगों से मुक्ति मिलती है। महानिशा पूजा करने से मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी प्रार्थना सुनती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह महानिशा पूजा के दिन मां दुर्गा की पूजा जरूर करें और माता रानी से आशीर्वाद ले "जय माता दी"

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