हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव क्यों मनाते हैं | हनुमान जन्मोत्सव के दिन क्या करना चाहिए | Hanuman Janmotsav kyo manate hain
हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव क्यों मनाया जाता है
हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव- तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरितमानस में हनुमान जी के कारनामों का उल्लेख मिलता है और तुलसीदास जी के द्वारा रचित एक और पाठ जिसे हम हनुमान चालीसा के नाम से जानते हैं। हनुमान चालीसा में अभी हनुमान जी के गुणों का बखान किया गया है। रामचरितमानस में हनुमान जी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और भगवान राम का सीता को वापस लाने में और रावण का वध करने में साथ देते हैं। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि के खत्म होने और रामनवमी खत्म होने के बाद हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव मनाई जाती है। हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव क्यों मनाया जाता है
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हनुमान की माता अंजना एक अप्सरा थी लेकिन उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी लोक पर जन्म लिया था और यह श्राप उन पर से तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देती बाल्मीकि और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिता थे। केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक भगवान शिव की आराधना की थी और इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमान जी को प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार हैं। हनुमान जी के जन्म दिवस को ही हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के दिन क्या करना चाहिए
अब हम जानेंगे कि कैसे हमें हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव को मनाना चाहिए नीचे हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के व्रत एवं पूजा की विधि बताई गई है।
1. हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के एक दिन पहले सोने से पहले किसी भी तरह से मांस मछली और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के एक दिन पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
3. हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के दिन जल्दी उठकर फिर से राम सीता एवं हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
4. हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
5. स्नान करने के बाद हाथों में गंगाजल नर्मदा जल या फिर सामान्य जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
6. इसके बाद हनुमान जी का आसन लगाना चाहिए आसन लगाने के लिए साफ-सुथरे कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए।
7. इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा या हनुमान जी के चित्र को स्थापित करना चाहिए।
8. प्रतिमा स्थापित कर लेने की बाद शांत मन से प्रतिमा के सामने बैठकर बजरंगबली से प्रार्थना करनी चाहिए।
9. इसके बाद हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।
10. सबसे आखरी में हनुमान जी से पूजा में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और हनुमान जी को प्रणाम करना चाहिए।
11. हनुमान जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के दिन सारा दिन शांत मन से हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए और किसी भी तरह से मांस मदिरा का सेवन और गाली गलौज नहीं करना चाहिए।
हनुमान जी का व्रत रखने से हनुमान जी अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और हनुमान जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए
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