हनुमान चालीसा अर्थ सहित हिंदी में | Hanuman Chalisa with meaning in hindi
हनुमान चालीसा तुलसीदास जी द्वारा रचित एक रचना है। हनुमान चालीसा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा पढ़ने से सभी प्रकार के विकार और डर दूर होते हैं। जब कभी इंसान ऐसी स्थिति में पड़ जाए जहां उसे घबराहट हो और डर लगे तब वह हनुमान चालीसा का जाप कर सकता है। हनुमान चालीसा का जाप करने से सभी प्रकार के डर दूर हो जाते हैं इसीलिए कहा जाता है कि हमें प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कोई निश्चित समय नहीं है आप चाहे अपने हिसाब से कोई भी समय हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए चुन सकते हैं। लेकिन हनुमान चालीसा को पढ़ लेने भर से कुछ नहीं होता हनुमान चालीसा का अर्थ समझना भी उतना ही जरूरी है जितना हनुमान चालीसा पढ़ना। इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हनुमान चालीसा अर्थ सहित हिंदी में। आगे आप हनुमान चालीसा के साथ-साथ हनुमान चालीसा की प्रत्येक पंक्ति का अर्थ भी समझ पाएंगे। हनुमान चालीसा का अर्थ बहुत ही सरल और आसान है इसे पढ़कर कोई भी व्यक्ति आसानी से हनुमान चालीसा का अर्थ समझ सकता है। तो चलिए पढ़ते हैं हनुमान चालीसा अर्थ सहित हिंदी में।
हनुमान चालीसा अर्थ सहित
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।🚩
अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि अपने गुरु के चरणों की धूल को स्पर्श करके मन, आत्मा और बुद्धि को पवित्र करते हुए श्री रघुवीर के निर्मल यश का गुणगान करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को वितरित करते हैं।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।🚩
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझ जैसे निर्बल और बुद्धिहीन को ऊर्जा (ताकत) बुद्धि और ज्ञान देकर, मेरे क्लेश और दुखों को दूर कीजिए।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।🚩1
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! आपके ज्ञान और गुण पृथ्वी पर सागर की तरह विशाल है, जिनका कोई अंत नहीं है। इस ब्रह्मांड के तीनो लोक आकाश लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी यश और कीर्ति की चर्चा है।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।🚩2
अर्थ - हे रामदूत! अंजनी-पुत्र, पवनसुत ये सब आपके ही नाम है और इस ब्रम्हांड में आपकी समान कोई भी बलवान नहीं है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।🚩3
अर्थ - हे पवनपुत्र महावीर बजरंगी! आप दुनिया के सबसे बड़े पराक्रमी हैं, आप बुद्धिहीन व्यक्ति को बुद्धि प्रदान करते हैं और अच्छी बुद्धि का साथ देते हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।🚩4
अर्थ - हे बजरंगबली! आप सुनहरी रंग और सुंदर वस्त्रों से सजे हुए हैं, और आपके कानों में कुंडल और आपके बाल घुंघराले हैं।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।।🚩5
अर्थ - हे बजरंगबली! आपके एक हाथ में बज्र और दूसरे हाथ में ध्वजा रहती है, एवं आपके कंधे पर मूंज का जनेऊ आपकी शोभा बढ़ाता है।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।🚩6
अर्थ - हे केसरीनंदन हनुमान! आप भगवान शंकर के अवतार हैं, आपके तेज और प्रताप की पूरे संसार में बंदना की जाती है।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।🚩7
अर्थ - हे हनुमान! आप जितना विद्यावान, समझदार (गुनी) और चतुर इस संसार में कोई नहीं, और आप अपनी इसी बुद्धि और विद्या का प्रयोग श्री राम के कार्यों में बड़े ही अच्छे ढंग से करते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।🚩8
अर्थ - हे पवनसुत हनुमान! जिस तरह आप श्री राम जी का चरित्र (रामचरितमानस) सुनने के लिए आतुर रहते हैं उसे देख कर लगता है कि आपके तन, मन, बदन हर जगह भगवान राम और माता सीता निवास करती है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।🚩9
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! इस दुनिया में आपका कोई सानी नहीं है, एक क्षण में अपने छोटा रूप धारण कर माता सीता को दर्शन दिए थे और दूसरे क्षण आपने विकट विकराल रूप धारण कर लंका को जला दिया था।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।🚩10
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! आपने विकराल रूप धारण कर असुरों का संहार किया और रामचंद्र जी के उद्देश्यों को सफल बनाने में उनका साथ दिया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।🚩11
अर्थ - आपने सजीवन बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया था, उसे देख कर श्री रघुवीर का हृदय आपके प्रति हर्ष से भर गया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।🚩12
अर्थ - हे हनुमंत! श्री राम आपको इतना पसंद करते हैं कि वे आपकी बढ़ाई करते हुए नहीं थकते हैं, उनको लिए आप अपने भाई भरत की तरह अत्यंत प्रिय हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।🚩13
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! श्री राम ने आपको यह कह कर गले से लगा लिया कि तुम्हारा सारा बदन दूसरों के जस लिए गुणगान करता है।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।🚩14
अर्थ - सनकादि, ब्रह्मा, विष्णु, ऋषि-मुनि, नारद एवं समस्त देव सहित आपके तेज यश बल आदि का गुणगान करते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।🚩15
अर्थ - हे अंजनीपुत्र हनुमान! समस्त ब्रह्मांड में आपका यह इतना बड़ा है, कि कोई भी "यमराज, कुबेर, पंडित, विद्वान आदि आपके यश का गुणगान नहीं कर सकता।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।🚩16
अर्थ - हे अंजनीपुत्र! आपने एक उपकार सुग्रीव पर यह किया था, कि उन्हें राम से मिलाया और उनका राजकाज उन्हें वापस मिल सका।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।🚩17
अर्थ - आप के आदेश का पालन विभीषण ने भी किया था, जिसकी वजह से विभीषण लंका का राजा बना था, इस बात को पूरा संसार जानता है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।🚩18
अर्थ - हे महावीर हनुमान! जो सूर्य इस पृथ्वी से लाखों जुग, योजन दूर है जहां तक पहुंचना ही असंभव सा कार्य है, अपने उस सूर्य को एक मीठा फल समझकर निगल लिया था।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।🚩19
अर्थ - हे हनुमंत! वह आप ही हो जिसने श्री राम की अंगूठी अपने मुंह में रखकर जल संसार को लांघ उस अंगूठी को सीता जी तक पहुंचाया था, और इसमें कोई अचरज की बात नहीं है।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।🚩20
अर्थ - हे हनुमान! इस संसार में जो भी काम सबसे ज्यादा कठिन है, वह आपकी कृपा से शुभम सरल रूप से हो जाता है।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।🚩21
अर्थ - हे हनुमान! आप राम को अपना सबसे प्रिय मानते हैं और उनकी रक्षा के हित में उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी उन तक नहीं पहुंचने दे सकते हैं।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।🚩22
अर्थ - जो कोई आप की शरण में आता है वह संसार से परे सब सुखों का आनंद उठाता है, जो संसार रूपी सभी सुखों से परे है, और आप जिस की रक्षा कर रहे हैं उसे डरने की कतई आवश्यकता नहीं है।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।🚩23
अर्थ - आपका तेज और आप की गति इतनी हैं कि उसे आप ही संभाल सकते हैं, अन्यथा आपके तेज की गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।🚩24
अर्थ - हे महावीर हनुमान! जब कोई व्यक्ति आपका नाम सुमिरन करता है, तब भूत पिशाच एवं दुष्ट आत्मा आपके आसपास भी नहीं भटक सकती है।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।🚩25
अर्थ - हे हनुमंत! जो मनुष्य आपके नाम का निरंतर जप करता है, उसके सभी रोग, दर्द एवं सभी प्रकार की परेशानियों का निवारण हो जाता है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।🚩26
अर्थ - हे हनुमान! जो मनुष्य अपने कार्य, मन, वचन आदि में आपका ध्यान करता है, उसकी सभी परेशानियों का निवारण आप स्वयं करते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।🚩27
अर्थ - इस संसार में तपस्वी राजा रामचंद्र जी सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं, उनके सभी कामों को आपने सहज सरल किया है।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।🚩28
अर्थ - जो मनुष्य आपको सच्चे भाव से याद करता है, आप उस पर ऐसी कृपा करते हैं, जो उसके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होती है।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।🚩29
अर्थ - इस संसार में चार युग हैं "सतयुग, त्रेता, द्वापुर, कलयुग" और इन सभी युग में आपकी यश कीर्ति विद्यमान है, और इस संसार में आपका यश सर्वत्र विशेष है।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।🚩30
अर्थ - हे हनुमान! आप श्री राम के प्रिय सज्जनों की हमेशा रक्षा करते हैं, और दुष्टों का हमेशा नाश करते हैं।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।🚩31
अर्थ - हे हनुमंत! आपकी सेवा भावना से श्री जानकी माता ने प्रसन्न होकर आपको वरदान दिया है, उस वरदान के तहत आप किसी अपने प्रिय को आठ सिद्धियां और नौ निधियों का मालिक बना सकते हैं।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।🚩32
अर्थ - हे हनुमान! आप श्री राम की भक्ति में इतने मग्न है कि अब राम नाम आपके लिए औषधि बन चुका है, आपको बुढ़ापा एवं अन्य बीमारियां छू भी नहीं सकती जब तक आप भगवान राम की शरण में हैं।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।🚩33
अर्थ - हे अंजनीपुत्र! जो कोई मनुष्य आपकी भक्ति करता है, उसके कई जन्मों के दुख दूर हो जाते हैं और वह मनुष्य श्री राम का प्रिय बन जाता है।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।🚩34
अर्थ - हे हनुमान! यदि आप जीवन मरण के फेर में बंधे हुए होते तो अंत समय आप श्री रामधाम अयोध्या में जाते और फिर से जन्म लेकर श्री राम भक्ति कहलाते।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।🚩35
अर्थ - हे हनुमंत! यदि कोई मनुष्य आपकी आराधना करता है तो उसे सब सुख प्राप्त होते हैं, एवं उसे किसी अन्य देव की आवश्यकता नहीं रह जाती है।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।🚩36
अर्थ - जो मनुष्य हनुमान जी का ध्यान करता है एवं उनकी आराधना करता है, हनुमान जी उसके सब दुख संकट दूर करते हैं।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।🚩37
अर्थ - हे हनुमान! मैं आपकी जय जयकार करता हूं, कृपया आप मुझ पर अपनी कृपा एक गुरु की भांति बनाए रखें।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।🚩38
अर्थ - जो मनुष्य हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करेगा, वह मनुष्य संसार रूपी बंधनों से छूटकर भगवान के परमानंद की प्राप्ति करेगा।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।🚩39
अर्थ - जो मनुष्य नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, वह व्यक्ति अपने जीवन काल में नई उपलब्धियां हासिल करेगा और हर काम में सफलता पाएगा। इस बात के साक्षी स्वयं भगवान शंकर है।
दोहा
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।🚩40
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! तुलसीदास हमेशा से श्री राम के भक्त रहे हैं, कृपया आप उनके हृदय में निवास करें, जिससे उनका उद्धार हो सके।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
अर्थ - हे पवनपुत्र हनुमान! आप संकटों को हरने वाले और शुभ कार्यों के प्रतीक हैं, मैं तुच्छ व्यक्ति आपसे विनती करता हूं कि आप राम लखन सीता सहित मेरे हृदय में निवास करें। 🙏
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आप हनुमान चालीसा अर्थ सहित हिंदी में पढ़ने के बाद अपने दोस्तों और परिवार वालों को भी राय दें कि वे भी हनुमान चालीसा को कम से कम एक बार अर्थ सहित जरूर पढ़ लें। ताकि उन्हें पता चल सके कि आखिर हनुमान चालीसा में क्या बताया गया है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी के गुणों का बखान किया गया है जिसे आप हिंदी में आसानी से समझ सकते हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने के बहुत से लाभ होते हैं हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होते हैं इसके बारे में आप दिए गए लिंक में पढ़ सकते हैं।