गौरैया चिड़िया की कहानी | Gauraiya chidiya ki kahani
बहुत समय पहले की बात है किसी जंगल के एक पेड़ में एक गौरैया चिड़िया घोसला बना कर रहा करती थी। 1 दिन की बात है जब जंगल में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। उसी दिन चार बंदर पेड़ के नीचे से गुजर रहे थे बंदरों ने सोचा आज ठंड बहुत है क्यों ना आज पेड़ के नीचे ही रात बिताई जाए।
ठंड को देखते हुए बंदरों ने पेड़ के नीचे ही रात बिताने का निर्णय लिया बंदरों ने सोचा ठंड बहुत ज्यादा है क्यों ना हम आग जला लें। बंदरों ने आसपास से लकड़ियां और पेड़ों के पत्ते इकट्ठे करना शुरू किए देखते ही देखते उन्होंने बहुत सारी लकड़ियां और पेड़ के पत्ते इकट्ठे कर लिए। अब समस्या ये थी कि इन्हें जलाया कैसे जाए?
तभी एक बंदर को पास में ही उड़ता हुआ एक जुगनू दिखाई देता है वो बंदर सभी बंदरों से कहता है क्यों ना हम इसे पकड़ कर लकड़ियों के ढेर में रखकर फूंक मारे तो आग जल जाएगी। सभी बंदर उसकी बात से सहमत हो गए। बहुत कोशिश करने के बाद उन्होंने जुगनू को पकड़ ही लिया और लकड़ी के ढेर के पास रखकर जुगनू में फूंक मारने लगे।
पेड़ के ऊपर बैठी गौरैया चिड़िया ये सब देख रही थी। उससे ये सब देखा नहीं गया उसने बंदरों से कहा ये कोई आग की चिंगारी नहीं ये एक जुगनू है तुम कितनी भी कोशिश कर लो इससे आगे नहीं चल पाएगी। लेकिन बंदरों ने उसकी एक न सुनी और अपने काम में लगे रहे और एक के बाद एक जुगनू पर फूंक मारते रहे।
चिड़िया ने एक बार फिर उनके पास आकर कहा कि "क्या तुम सब मूर्ख हो जो ऐसा काम कर रहे हो ऐसा करने से तुम कभी आग नहीं चला पाओगे यह एक जुगनू है कोई आग की चिंगारी नहीं"
गौरैया चिड़िया की बात सुनकर बंदरों को गुस्सा आ गया। उन्हीं में से एक बंदर ने चिड़िया को पकड़ा और जोर से जमीन पर पटक दिया जमीन पर पटकने के कारण चिड़िया तुरंत वहीं पर मर गई। और बंदर जुगनू पर फिर फूंक मारने लगे।
सीख:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी को बिना मतलब के ज्ञान नहीं देना चाहिए और खासकर मूर्ख लोगों को तो बिल्कुल नहीं।