अपने अंदर के डर को कैसे दूर करें | Apne andar ke Dar ko kaise dur karen
आज हम जानेंगे कि हम अपने अंदर के डर को कैसे दूर कर सकते हैं। हम यहां कुछ उपायों के बारे में जानेंगे जिन्हें अपनाकर आप अपने अंदर छुपे हुए डर को बाहर निकाल फेंक सकते हैं।
डरना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है डर सबको लगता है लेकिन कुछ लोग अपने डर में काबू पा लेते हैं और कुछ लोग अपने डर से घबराकर पीछे हट जाते हैं। इंसान को किसी भी चीज से डर लग सकता है चाहे अपनी जिम्मेदारियों का डर, कहीं बाहर जाने या घूमने फिरने से डर, पढ़ाई लिखाई से डर, लोगों से मिलने में डर और भी कई तरह के डर होते हैं जो लोगों को परेशान करते हैं।
डर क्यों लगता है
ज्यादातर देखने में आया है जब भी व्यक्ति को डर लगता है अपने पिछले अनुभवों के कारण लगता है। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिए आपके स्कूल में आपको भाषण देना है और आपने भाषण देना शुरू किया, भाषण देते समय आपसे कुछ गलतियां हो गई और आप भाषण देते समय बीच में अटक गए। ऐसा एक बार हुआ लेकिन इसके बाद जब भी आपको दोबारा भाषण देने का मौका मिलेगा आपको डर लगेगा। कहने का मतलब डर हमारे बुरे अनुभवों का नतीजा होता है। इसी तरह कुछ लोग भूत-प्रेत से डरते हैं, होता ये है कुछ लोग भूत प्रेत की कहानियां या कुछ फिल्में देख लेते हैं और उन्हें लगता है कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है। इसीलिए हम कह सकते हैं कि डर हमारे बुरे अनुभव या जो कुछ हम देखते सुनते हैं उसका नतीजा होता है।
डर लगने पर क्या होता है
डर लगने पर अलग-अलग व्यक्तियों के साथ अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे:-
- हाथ पैर कांपने लगना
- सांसे का भारी हो जाना
- दिल की धड़कनों का तेज हो जाना
- घबराहट होना
- पसीना आना
- कभी-कभी बेहोश हो जाना
- आँखों के सामने अंधेरा
- दिमाग में कोई भी विचार ना आना
- और दिमाग का सुन्न हो जाना
ये सब हालात तब पैदा होते हैं जब इंसान को डर लगता है।
डर हमारे लिए क्यों खतरनाक है
किसी फिल्म में कभी ये डायलॉग आपने सुना होगा "जो डर गया, समझो मर गया" होता भी यही है जो व्यक्ति डरता है वह मरता तो नहीं लेकिन हर एक काम में पिछड़ते चला जाता है और इस दुनिया के लोग डरने वाले व्यक्ति को और डराते हैं। डर के कारण इंसान अपने जीवन में कुछ कर नहीं पाता, अपने काम तक को ठीक से नहीं कर पाता, इसीलिए वह तरक्की से पीछे रह जाता है। ऐसा इंसान ना तो ज्यादा पैसे कमा पाता है और ना इज्जत कमा पाता है वह समाज में दुबक कर अपना जीवन जीता है। इसीलिए डर हमारे लिए बहुत खतरनाक है।
अंदर का डर क्या है
जब इंसान को बिना मतलब के अपने अंदर से ही डर महसूस हो उसे अंदर का डर कहते हैं इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं:- मान लीजिए आपको एक नदी तैरकर पार करनी है तो आपको डर लगना चाहिए कि नदी में कोई जानवर तो नहीं, नदी का बहाव तेज तो नहीं, क्या मैं तैरकर पार कर लूंगा ये सामान्य डर है। लेकिन आप इन डरों के अलावा नदी के पानी, पानी में रहने वाले बैक्टीरिया, बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां, बीमारियों के बाद आपकी मृत्यु इतना सोच लेते हैं तो मान के चलिए आपके अंदर का डर आपको डरा रहा है। यही अंदर का डर है।
डर के प्रकार
- ऊंचाई का डर
- परीक्षा का डर
- भविष्य का डर
- मौत का डर
- अंधेरे से डर
- असफलता का डर
- आसमानी बिजली का डर
- पत्नी/प्रेमिका को संतुष्ट ना कर पाने का डर
- लोगों के बीच बैठने का डर
- स्टेज पर जाने का डर
- भीड़ वाली जगहों पर जाने का डर
- कोई बड़ी बीमारी का डर
- भगवान से डर
- भूत प्रेतों से डर
- समाज के लोगों से डर
इसके अलावा भी डर कई प्रकार का हो सकता है।
अपने अंदर के डर को दूर कैसे करें 10 आसान तरीके
एक बात का ध्यान रखिए डर को दूर भगाने की कोई दवा नहीं मिलती जिसे एक बार आप खा लेंगे और आपको डर लगना बंद हो जाएगा। हां कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो चिंता और डिप्रेशन की दवा को डर की दवा के रूप में लोगों को देते हैं लेकिन यह इसका सही इलाज नहीं है अंदर से आने वाले डर को अंदर से ही खत्म किया जा सकता है।
1. जब कभी आपको डर लगे तो सबसे पहले ये समझने की कोशिश करें कि आखिर आपको डर किस चीज से लग रहा है।
2. जब आपको समझ में आ जाए आप किस चीज से डर रहे हैं तो सबसे पहले उस चीज के बारे में ठंडे दिमाग से सोचें कि क्या वो चीज इतनी खतरनाक है कि आपको डर लगे।
3. अपने अंदर के डर को भगाने के लिए सबसे अच्छा उपाय हैं रोज सुबह उठकर 15 मिनट तक ध्यान लगाएं। कहने का मतलब 15 मिनट तक मेडिटेशन करें मेडिटेशन करने से आपका मन शांत होगा और आपके मन में आने वाले डर के विचार खत्म होंगे। यदि आपको यह सब बातें बकवास लगती हैं तो कम से कम 7 दिनों के लिए ही 15 मिनट सुबह और 15 मिनट शाम को रोज मेडिटेशन करके देखें 7 दिन के बाद आप खुद अपने आप में बदलाव महसूस कर पाएंगे।
4. इसके अलावा यदि आपको भीड़ वाली जगहों से डर लगता है तो धीरे-धीरे करके अपनी आदत बनाएं भीड़ वाली जगहों पर जाने की। घर की सब्जियां लेने जाएं, घर का किराने का सामान लेने जाएं, लोगों के साथ उठे बैठे, समाज में होने वाली बैठकों पर जाएं, नवरात्रि गणपति आदि उत्सवों को अटेंड करें और उनमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लें ऐसा करने से आपके अंदर का डर खत्म होगा।
5. कुछ लोगों के अंदर यह डर होता है कि मैं कुछ काम कर पाऊंगा या नहीं जैसे कि अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पाना, जिम्मेदारी लेना, किसी परीक्षा में भाग लेना यदि आपको इस प्रकार का डर लग रहा है तो इसका इलाज सिर्फ और सिर्फ इन डरों का सामना करना है। यदि इनके बारे में आप बैठकर सिर्फ सोचते रहेंगे तो आप अपने डर से कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे इस तरह के डर को खत्म करने का सबसे सरल तरीका है ऐसे डरो का सामना करना। आप जितनी बार ऐसे डर का सामना करेंगे आप उतने ही मजबूत बनते जाएंगे और धीरे-धीरे करके आपके अंदर आने वाला इस तरह का डर खत्म हो जाएगा।
6. आपने महसूस किया होगा जब भी आपको डर लगता है आपके अंदर नकारात्मक और नेगेटिव विचार आते हैं ज्यादातर डर नकारात्मक सोचने के कारण ही पैदा होते हैं इसीलिए कोशिश करें हमेशा सकारात्मक और पॉजिटिव सोचने की। सकारात्मक सोचने की शक्ति बहुत बड़ी है दोस्तों इसके बारे में बहुत से लोगों ने कई किताबें भी लिखी है यदि आप अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखेंगे तो आपके अंदर का डर आपको कभी नहीं डरा पाएगा।
7. यदि आपको किसी बीमारी या अपनी मृत्यु का डर लगता है तो मान के चलिए आप अपने बारे में बहुत ज्यादा सोच रहे हैं दुनिया में ऐसा कोई नहीं जो अमर हो। एक ना एक दिन सभी को मरना है इसीलिए अपने अंदर से मृत्यु के ख्याल को निकाल कर अपने जीवन को खुशहाल बनाने की कोशिश करें और रही बात बीमारी की यदि आप स्वस्थ हैं और एक स्वस्थ दिनचर्या जीते हैं तो आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे इसीलिए ऐसी बे फालतू की बातें अपने मन से बाहर निकाल फेकें।
8. यदि आपको भविष्य की चिंता सताती है तो इसके लिए एक उपाय है वो उपाय हैं अपने आज को बदलना। यदि आप अपने आज को बदल लेंगे तो अपने आप ही आपका भविष्य बदल जाएगा एक बात में गौर करिए आप अभी जो हैं अपने पिछले कुछ वर्षों का नतीजा है इसीलिए यदि आप आज से बदलने की कोशिश करेंगे तो आने वाले कुछ सालों में आप पूरी तरह बदल जाएंगे और आपका भविष्य भी पूरी तरह चेंज हो जाएगा।
9. रिस्क लेने की आदत डालें जो होगा देखा जाएगा ज्यादा से ज्यादा क्या होगा नुकसान होगा, घाटा होगा, तकलीफ होगी, दर्द होगा, इससे ज्यादा क्या होगा? यही सोच कर अपना काम करते रहें और रिस्क लेने की आदत डालें।
10. यदि आपको भूत-प्रेतों का डर लगता है तो सबसे पहले मैं आपको एक बात बता दूं यदि इस दुनिया में भूत प्रेत होते तो कोई जेल बनाने की जरूरत ना पड़ती। जेल में जितने कैदी हैं वो किसी ना किसी तरह का अपराध करके किसी की हत्या करके ही अंदर गए हैं कैदियों ने जिनकी हत्या की है क्या उन लोगों का भूत उनसे कभी बदला नहीं लेता? अगर भूत होता तभी लेता ना!! इसीलिए भूतों का डर अपने मन से पूरी तरह बाहर निकाल दें भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं होता।
डर से जीतने के बाद क्या होगा
यदि आप अपने डर को डरा कर आगे बढ़ जाएंगे तो आप सफलता की ओर बढ़ जाएंगे आपको जीवन में तरक्की करने से कोई नहीं रोक पाएगा। जब आपके अंदर किसी भी तरह का डर होगा ही नहीं तो आपको पीछे कौन धकेलेगा आप हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते रहेंगे और अपने जीवन में नया-नया काम करते रहेंगे। वो कहते हैं ना "डर के आगे जीत है" वही जीत आपको मिलने लगेगी।
उम्मीद करते हैं दोस्तों ऊपर बताई गई बातें आपको समझ में आ गई होंगी और यदि आ गई होंगी तो मान के चलिए आज से ही आपका डर पूरी तरह से खत्म हो गया। अब आपके अंदर से आने वाला आपका डर आपको कभी नहीं डरा पाएगा। इसीलिए अपने डर को निकाल कर कूड़े में फेंक दें और अपने काम में मन लगाएं। और किसी भी तरह की समस्या के लिए हमें नीचे कमेंट करें।