हज यात्रा क्या है | हज में पत्थर क्यों मारते हैं क्या मक्का में शैतान दिखता है | Why do throw stones in Hajj in Hindi

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हज यात्रा क्या है | हज में शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं

हज एक तरह की इस्लामिक तीर्थ यात्रा है। इस्लाम धर्म के पांच स्तंभ हैं उन्हीं में से एक स्तंभ हज है। इस्लाम के अनुसार प्रत्येक मुस्लिम चाहे वह औरत हो या पुरूष दोनों का कर्तव्य होता है कि वह अपने जीवन काल में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा हज पर जरूर जाए। हज यात्रा केवल उन्हीं लोगों को करनी चाहिए जो शारीरिक और आर्थिक दोनों रूप से सक्षम हो। जो लोग शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते यदि वे हज की यात्रा नहीं कर पाते तो कुछ ऐसी संस्थाएं और चैरिटी हैं जो फ्री में लोगों को हज की यात्रा में भेजती हैं ऐसे लोग ऐसी संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं।

हज यात्रा क्या है  हज में शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं Why do throw stones in Hajj

इस्लाम धर्म के पांच स्तंभ

इस्लाम धर्म में पांच स्तंभ होते हैं। उन्हीं में से एक स्तंभ हज है। आज हम हैं यहां इस्लाम के पांचों स्तंभ के बारे में जानेंगे

1. इमान- इमान के अनुसार हर मुस्लिम समुदाय मुहम्मद हजरत साहब के रसूल होने पर विश्वास करेगा और अल्लाह के सिवाय किसी और की पूजा नहीं करेगा।

2. नमाज़- प्रत्येक मुस्लिम दिन में 5 बार नमाज पढ़ेगा।

3. रमज़ान- रमजान के महीने में प्रत्येक मुस्लिम रोजे रखेगा और नियम से उसका पालन करेगा।

4. जकात- हर मुस्लिम अपनी कमाई का कुछ प्रतिशत हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए दान करेगा।

5. हज- हर मुस्लिम अपने जीवन काल में एक बार मक्का की हज यात्रा जरूर करेगा यदि वह सक्षम हो तो।

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार हज यात्रा इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की आठवीं से 12वीं तारीख तक होती है ये तारीखें अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती है दोनों कैलेंडर की गणनाएँ अलग-अलग हैं।

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हज में शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं

Hajj me patthar kyo marte hain- ऐसा माना जाता है कि एक बार अल्लाह हजरत इब्राहिम से कुर्बानी में उनकी पसंदीदा चीज मांगी थी। इब्राहिम को काफी बुढ़ापे में एक संतान पैदा हुई थी जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा था। वह उससे बहुत प्यार करते थे। लेकिन अल्लाह का आदेश मानकर उन्होंने अपने पुत्र की कुर्बानी देनी की सोची।

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हजरत इब्राहिम जब आप अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे तभी रास्ते में एक शैतान मिला। और उसने उससे कहा कि वह इस उम्र में अपने बेटे की कुर्बानी दे रहा हैं और उसके मरने के बाद कौन उनकी देखभाल करेगा। ऐसा करने से उन्हें अकेले ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ेगा। हजरत इब्राहिम भी ये बात सुनकर सोच में पड़ गया और उनका कुर्बानी देने का इरादा भी टूट गया। लेकिन वे बाद में संभल गए और कुर्बानी देने चले गए।

हजरत इब्राहिम को लगा की कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं उन्हें रोक सकती हैं इसीलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि वह अपने पुत्र को ना देख सके। कुर्बानी देने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा देखा वेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा हुआ था। तभी से इस मौके पर बकरे और मेमनों की बलि देने की प्रथा चली आ रही है। इसी कारण से मुसलमान हज के दौरान शैतान को पत्थर मारते हैं क्योंकि उस शैतान ने हजरत इब्राहिम को भटकाने की कोशिश की थी।

आपने कई व्हाट्सएप मैसेज और फेसबुक में ग्रुप्स में पढ़ा होगा कि काबा मक्का मदीना में शिव मंदिर स्थित है। लेकिन हम आपको बता दें कि ये बातें पूरी तरह से गलत है ऐसा कुछ भी नहीं है।

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