डेजा वू क्या है | What is deja vu in hindi
डेजा वू एक फ्रेंच शब्द है जिसका अर्थ होता है 'पहले से देखा हुआ' और डेजा वू की घटनाओं में भी ऐसी ही परिस्थिति बनती है जिसमें व्यक्ति को महसूस होता है कि वह इन घटनाओं को पहले ही देख चुका है।
दोस्तों क्या आपको भी ऐसा लगता है की चीजें जो आपके साथ हो रही हैं यह आपके साथ पहले भी हो चुकी हैं, जो इमारत आप आज देख रहे हैं आप पहले भी देख चुके हैं, जो जिंदगी आप जी रहे हैं वह पहले भी जी चुके हैं, यदि आपको भी ऐसा ही लगता है तो हो सकता है आपके साथ देजा वू जैसी स्थिति बन रही हो।
क्या आपके साथ कभी ऐसी कोई घटना हुई है या आप कोई ऐसी जगह में गए हैं जहां पर जाकर आपको लगा हो कि आप पहले भी यहां आ चुके हैं यदि आपको ऐसा लगा है तो इसी अनुभव को डेजा वू कहते हैं।
डेजा वू की घटनाओं को टाइम ट्रेवल से जोड़कर देखा जाता है ऐसा माना जाता है कि हमारे सामने जो घटनाएं हो रही हैं वो एक समानांतर लाइन में हो रही है लेकिन यदि बीच में आकर कोई उस लाइन को डिस्टर्ब कर दे तो समानांतर लाइन दो भागों में बट जाती है जिसका एक भाग अलग होता है और दूसरा भाग अलग होता है और कभी कभी इन दोनों लाइन के अनुभव को इंसान महसूस करने लगता है। इसीलिए उसे कोई घटना या कोई जगह दो बार याद आती है इस इस अनुभव को ही डेजा वू कहते हैं।
देजा वू की स्थिति में इंसान को ऐसा लगता है जैसे वर्तमान में होने वाली घटना उसके साथ पहले भी हो चुकी हैं। कुछ लोगों का मानना है ऐसा तब होता है जब किसी के द्वारा भविष्य में जाकर भूतकाल को बदल दिया जाए। सुनने में तो बड़ा अजीब सा लगता है दोस्तों, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह बातें सही है।
हॉलीवुड में एक मूवी बनी थी जिसका नाम भी 'डेजा वू' था इस मूवी में डेजा वू के कांसेप्ट को अच्छी तरह से समझाया गया है आप चाहे तो ये मूवी देख सकते हैं।
कई बार हम बिल्कुल नई जगह या वातावरण में होते हैं और अचानक से हमें लगने लगता है कि यह सब हमारे साथ पहले भी हो चुका है हम यहां पहले भी आ चुके हैं बस यही डेजा वू है यह एक आम फीलिंग है जो सभी व्यक्तियों को कभी ना कभी होती ही है।
डेजा वू के वैज्ञानिक कारण
अगर हम बात करें इसके साइंटिफिक रीजन की तो वैज्ञानिकों का कहना है हमारा दिमाग दो हिस्सों में बटा हुआ है एक हिस्सा हमारे राइट साइड के शरीर को कंट्रोल करता है, और दूसरा हिस्सा हमारे लेफ्ट साइड के शरीर को कंट्रोल करता है, और जब कभी हम मानसिक थकावट या किसी प्रकार के हैंगओवर से जूझ रहे होते हैं तब हमारे दोनों दिमाग में सिग्नल एक साथ नहीं पहुंच पाता, कुछ माइक्रो सेकंड की देरी होने पर भी हमारा एक साइड का दिमाग यह सोच लेता है कि यह चीज मेरे साथ पहले भी हो चुकी है।
डेजा वू के कई वैज्ञानिक कारण भी है वैज्ञानिकों की मानें तो हमारा ब्रेन दो तरह से कार्य करता है जब हम किसी नई जगह को देखते हैं तो यदि हमारी आंखों को ब्रेन तक सिग्नल पहुंचाने में थोड़ी देर हो जाती है तो हमारे ब्रेन को यह लगता है कि यह घटना हमारे साथ दो बार हो रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग दो भागों में बटा हुआ है एक भाग से दूसरे भाग में सिग्नल पहुंचने में यदि समय लगता है तो हमारा दिमाग यह सोचने लगता है कि यह घटना दोबारा हो रही है लेकिन ऐसा होता नहीं।
डेजा वू की घटनाओं के बारे में यदि आप इंटरनेट में सर्च करेंगे तो आपको हजारों ऐसे लोग मिल जाएंगे जो डेजा वू की घटनाओं को सच मानते हैं और अपने अनुभव एक दूसरे से बांटते हैं। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है अभी तक ये कह पाना मुश्किल है। यदि डेजा वू सच है तो हो सकता है भविष्य के लोगों ने ऐसी तकनीक का आविष्कार कर लिया हो जिससे वे टाइम ट्रेवल कर सकते हो और हमारी दुनिया में आ सकते हो। तो हो सकता है कि हमारे फ्यूचर के वर्जन ने जो चीजें पहले ही देख रखी है और उनको हम दोबारा देख रहे हैं तब हमें ये फीलिंग आती हो कि हमारे साथ यह घटना दोबारा हो रही है। ये सिर्फ कहने की बातें हैं अभी इसमें से सच का पर्दा उठना बाकी है। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में वैज्ञानिक इसका हल जरूर ढूंढ लेंगे।
दोस्तों ये बातें कितनी सही है और कितनी गलत यह कह पाना तो मुश्किल है लेकिन जिस किसी के साथ भी ऐसी घटनाएं होती है कभी-कभी ऐसी घटनाएं उसे फायदा या नुकसान दोनों करवा सकती हैं, कभी-कभी कुछ व्यक्ति लॉटरी जीत जाते हैं तो कभी कभी कुछ लोग हादसों का शिकार होने से बच जाते हैं, और कुछ लोगों को इस चक्कर में अपनी जान भी गंवानी पड़ती है।
आप क्या सोचते हैं डेजा वू के कांसेप्ट के बारे में अपने विचार हमारे साथ कमेंट में जरूर शेयर कीजिएगा।