सुखी जीवन का ‘एक मूलमंत्र’ | Sukhi jeevan ka mantra

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सुखी जीवन का मंत्र | Sukhi jeevan ka mantra

दोस्तों मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में ही रहना पसंद करता है। इस समाज में रहने की कुछ फायदे और कुछ नुकसान हैं, हम समाज में रहेंगे तो हमें समाज के लोगों की बातें भी सुननी पड़ेगी, जिनमें से कुछ बातें तो हमें अच्छी लगती हैं, और कुछ बातें हमारे दिल में चुभ जाती हैं।

सुखी जीवन मंत्र  Sukhi jeevan ka mantra

: लोग बुराई करते हैं, और आप दुखी हो जाते हैं-

जब कभी हमारे हाथों कुछ गलत हो जाता है तो लोग हर तरफ से हमारी बुराई करने में लग जाते हैं, चाहे हमारे द्वारा लाए गए परीक्षा के अंक, हो चाहे हमारा धंधा चौपट हो जाए, या हमारे पारिवारिक संबंधों को लेकर जब लोग हमारी बुराई करते हैं तो हम दुखी हो जाते हैं।

: लोग तारीफ करते हैं, और आप सुखी हो जाते हैं- 

और जब कभी हम कोई अच्छा काम करते हैं, जैसे परीक्षा में अच्छे नंबर लाना, या हमारी जॉब लग जाती है, या हमें कहीं से पैसे मिलते हैं, या हमारा धंधा अच्छा चल रहा होता है, तब लोग हमारी तारीफ करते हैं और हम बहुत खुश हो जाते हैं।

: मतलब हमारे सुख दुख, का स्विच लोगो के हाथ में है-

ऊपर बताई गई दो बातों से तो यही सिद्ध होता है कि हमारे सुख दुख का स्विच लोगों के हाथों में है, समाज के हाथों में है। लोग यदि हमारी तारीफ करते हैं तो हम खुश हो जाते हैं और वही लोग जब हमारी बुराई करते हैं तो हम दुखी हो जाते हैं।

: कोशिश करो स्विच आपके हाथ में हो-

ऐसे में दोस्तों हमें करना ये है कि इस सुख दुख के स्विच अपने हाथों में लेना है, हमें अपने आप में इतना नियंत्रण रखना है कि हम दूसरों की बताई बातों में भावुक होकर कभी दुखी ना हो, और दूसरों की कही बातों में आकर ज्यादा उत्साहित ना हो, क्योंकि दोस्तों लोग हमेशा कहते हैं, लोगों का काम ही होता है कहना, चाहे आप अच्छा करें या बुरा करें लोग कुछ ना कुछ जरूर कहेंगे।

“अपने सुख-दुख का स्विच अपने हाथों में लो, अपने कान बंद करो और अपने काम में लग जाओ” धन्यवाद! पोस्ट पसंद आए तो कमेंट में अपनी राय जरूर दीजिएगा।

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