चैत्र नवरात्रि का महत्व | Chaitra navratri ka mahatva
हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार 1 साल में 4 बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है इनमें से सबसे प्रमुख चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र हैं। सभी नवरात्रों में चैत्र नवरात्र को ज्यादा महत्व दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्र का व्रत रखने से माता रानी अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
चैत्र नवरात्र के वैज्ञानिक मत अनुसार अक्सर ऋतु के संधि कालों में शारीरिक बीमारियां बढ़ जाती है अतः उस समय स्वस्थ रहने के लिए और शरीर को शुद्ध रखने के लिए नवरात्रि का उपवास रखना बहुत ही प्रभावकारी होता है। अमावस की रात से अष्टमी तक नियम के अनुसार चलने से 9 दिन में नवरात्रि का उपवास पूरा होता है। इन 9 दिनों में पूरी तरह से शरीर शुद्ध हो जाता है और किसी भी तरह की बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है। शरीर को सुचारू रखने के लिए हम नियमित रूप से शरीर की शुद्धि और सफाई तो करते हैं किंतु हमारे अंग प्रत्यंग ओ को पूरी तरह से और भीतर से साफ करने के लिए हर 6 माह के अंदर सफाई की जरूरत होती है। इसीलिए यदि व्यक्ति साल में दो बार नवरात्रि के उपवास रखता है तो व्यक्ति का शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। शरीर में बल बुद्धि का विकास होता है मन शांत रहता है और शांत और स्वच्छ मन में ही ईश्वर का निवास होता है।
ऐसी कई मान्यताएं हैं जिनके कारण चैत्र नवरात्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। माता रानी के भक्त चैत्र नवरात्रि में 9 दिन व्रत रखते हैं और माता की पूजा करते हैं। चैत्र नवरात्र में कलश और जवारे का पूजन किया जाता है इसमें मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर नहीं रखी जाती। देश के अलग-अलग राज्यों में चैत्र नवरात्र को अलग-अलग रूप से मनाया जाता है।
यदि आप भी तन और मन से शरीर की शुद्धि चाहते हैं तो इस बार चैत्र नवरात्र का उपवास जरूर रखिएगा जय माता दी।
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