प्रकृति के नियम | Law of Nature in hindi
आज हम जानेंगे प्रकृति के नियम के बारे में की प्रकृति के वो कौन से चार नियम है जिसके बारे में हमें जानना जरूरी है।
प्रकृति के 4 नियम
1. प्रकृति का पहला नियम
प्रकृति का पहला नियम है कि यदि खेत में बीज ना डाले जाएं तो कुदरत उसे घास फूस से भर देती है। ठीक इसी तरह से यदि हमारे दिमाग में अगर सकारात्मक और पॉजिटिव विचार ना भरे जाएं तो अपने आप ही नकारात्मक विचार हमारे दिमाग में अपनी जगह बना लेते हैं।
2. प्रकृति का दूसरा नियम
प्रकृति का दूसरा नियम है कि जो इस प्रकृति में जन्म लेता है उसकी मृत्यु एक ना एक दिन तय होती है। चाहे वह इंसान हो, चाहे पेड़ पौधे हो, चाहे जानवर हो, जो भी इस दुनिया में जन्म लेता है एक ना एक दिन जरूर खत्म हो जाता है। इस प्रकृति में कोई भी अमर नहीं है।
3. प्रकृति का तीसरा नियम
प्रकृति का तीसरा नियम है कि जिसके पास जो होता है वो वही बांटता है। जिसके पास सुख होता है वह सुख बैठता है, दुखी व्यक्ति अपना दुख बांटता है, ज्ञानी पुरुष अपना ज्ञान बांटता है, और जो व्यक्ति अपने जीवन में गुमराह होता है वो भ्रम बांटता है, भयभीत व्यक्ति भय बांटता है, जो वृक्ष फलों से लदा होता है वह फल बैठता है, जिस वृक्ष में कांटे होते हैं वो वृक्ष काटे बांटता है। इसी तरह इस प्रकृति में जिसके पास जो होता है वो वही बांटता है।
4. प्रकृति का चौथा नियम
प्रकृति के चौथे नियम के अनुसार हमें इस जीवन में जो भी मिलता है हमें उसे पचाना सीखना चाहिए क्योंकि भोजन ना पचने पर रोग बढ़ते हैं और इसी तरह पैसा ना पचने पर दिखावा बढ़ता है। बात ना पचने पर चुगली करने की आदत बढ़ती है। प्रशंसा ना पचने पर अहंकार बढ़ जाता है। निंदा ना पचने पर दुश्मनी बढ़ जाती है। किसी बात का राज ना पचने पर खतरा बढ़ जाता है। और दुख ना पचने पर निराशा बढ़ जाती है। और इसी तरह सुख ना पचने पर पाप बढ़ जाता है। इसीलिए हमें प्रकृति से जो भी मिलता है हमें उसे पचाना सीखना चाहिए।
प्रकृति के और भी बहुत सारे नियम है लेकिन यहां पर 4 नियम बताए गए हैं जो कि इंसानी जीवन से जुड़े हुए हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रकृति के इन 4 नियमों के अनुसार चलता है तो उसका जीवन आनंदमय और सुखमय होता है। हमें भी अपने जीवन में प्रकृति के इन 4 नियमों को अपनाना चाहिए। प्रकृति के नियमों के बारे में अपने विचार हमारे साथ कमेंट में जरूर शेयर कीजिएगा।