नर्मदा जी की कहानी | एक प्यार और दर्द भरी कहानी | नर्मदा नदी की कहानी | Narmada ji ki Kahani
Narmada ji ki Kahani नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात की एक महत्वपूर्ण नदी है। मध्यप्रदेश में इसका उद्गम होने के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। नर्मदा नदी की लंबाई 1312 किलोमीटर है। 1312 किलोमीटर बहने के बाद नर्मदा नदी खंभात की खाड़ी में गिरकर अरब सागर में मिल जाती है। नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक है।
नर्मदा नदी की कहानी | Narmada ji ki Kahani |
पूरे मध्यप्रदेश और गुजरात में मां नर्मदा को माता का दर्जा प्राप्त है लोग मां नर्मदा की पूजा एक मां की तरह करते हैं नर्मदा जयंती पर उन्हें चुनरी चढ़ाते हैं और भव्य आयोजन करके उनका प्रोग्राम करते हैं लोगों को प्रसाद बांटते हैं और मां नर्मदा से प्रार्थना करते हैं कि मां नर्मदा ऐसी ही बहती रहे और लोगों का कल्याण करती रहे।
नर्मदा जी की कहानी - Narmada ji ki Pyar Bhari Kahan
नर्मदा नदी के बारे में कहा जाता है कि यह राजा मैखल की पुत्री थीं। नर्मदा के विवाह योग्य होने पर मैखल ने उनके विवाह की घोषणा करवाई। साथ ही यह भी कहा कि जो भी व्यक्ति गुलबकावली का पुष्प लेकर आएगा राजकुमारी का विवाह उसी के साथ होगा। इसके बाद कई राजकुमार आए लेकिन कोई भी राजा मैखल की शर्त पूरी नहीं कर सका। तभी राजकुमार सोनभद्र आए और राजा की गुलबकावली पुष्प की शर्त पूरी कर दी और राजा मैखल ने पुत्री नर्मदा के लिए सोनभद्र को स्वीकार कर लिया। इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया और नर्मदा जी भी बहुत खुश हुई क्योंकि उन्हें सोनभद्र पसंद था।
राजा मैखल ने जब राजकुमारी नर्मदा और राजकुमार सोनभद्र का विवाह तय किया तो राजकुमारी नर्मदा की इच्छा हुई कि वो एक बार तो सोनभद्र को देख लें। इसके लिए उन्होंने अपनी सखी जुहिला को राजकुमार सोनभद्र के पास अपने संदेश के साथ भेजा। लेकिन काफी समय बीत गया और जुहिला वापस नहीं आई। इसके बाद राजकुमारी नर्मदा को चिंता होने लगी और वो उसकी खोज में निकल गईं। तभी वो सोनभद्र के पास पहुंचीं और वहां जुहिला को उनके साथ देख लिया। यह देखकर उन्हें अत्यंत क्रोध आया। इसके बाद ही उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ीं और आज तक उल्टी दिशा में बह रही हैं।
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मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी को मां नर्मदा और रेवा मां भी कहा जाता है नर्मदा नदी लोगों का कल्याण करती है नर्मदा नदी को गंगा से भी पवित्र माना जाता है कहानियों के अनुसार गंगा को भी पवित्र होने के लिए नर्मदा नदी में आना पड़ा था इसीलिए नर्मदा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है।
"जय माँ नर्मदे, हर हर नर्मदे हर"