सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग? sabse bada rog kya kahenge log
जैसा कि विज्ञान का एक नियम है दोस्तों, प्रत्येक क्रिया की एक प्रतिकिया जरूर होती है। ये नियम लोगों की सोच पर भी लागू होता है।
दोस्तों आपने सुना ही होगा कि “कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना” और इसी के चलते हम भी अपने जीवन से जुड़े कई फ़ैसले लोगो के कहन केे आधार पर ही ले लिया करते है। भले ही हमारा मन कुछ कह रहा हो पर लोग क्या कहेंगे का डर हमें लोगों के अनुसार या मिले-जुले डिसीजन लेने को मजबूर करता है।
सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग? sabse bada rog kya kahenge log |
इसे हम एक छोटी सी कहानी से समझते है “ एक बार पिता-पुत्र और उनका एक घोड़ा तीनों पैदल चलते हुए अपने घर जा रहे थे, रास्ते मे उन्हें कुछ लोग मिले जिन्होंने कहा “कैसे लोग है जो घोड़ा होते हुए भी पैदल चल रहे है।” यह सुन कर पुत्र ने पिता को घोड़े पर बैठा दिया। थोड़ा आगे चलने पर फिर कुछ लोग मिले जिन्होंने कहा “कैसा पिता है खुद घोड़े पर बैठ कर पुत्र को पैदल चलवा रहा है।” यह सुन कर पिता घोड़े से उतर गया और पुत्र को घोड़े पर बैठा दिया, थोड़ा आगे चलने पर फिर कुछ लोग मिले जिन्होंने कहा “कैसा पुत्र है पिता पैदल चल रहा है और खुद घोड़े पर बैठा है।” यह सुन कर वो भी घोड़े से उतर गया, और दोनों फिर से पैदल चलने लगे।
घर पहुँचे पर पिता-पुत्र को घोड़े के साथ पैदल आता देख पत्नी ने भी कहा “क्या हुआ आप पैदल क्यो आ रहे है किसी ने कुछ कहा क्या?” तो इस पर पति ने मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी से कहा “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना”
तो दोस्तों कहने का मतलब ये, कि आप अपना काम करते रहो और लोगो को अपना काम करने दो, क्योंकि हम हमेशा यही सोचते रहते है कि लोग क्या कह रहे है और इसी को हम अपनी लाइफ का सबसे बड़ा रोग बना लेते है
दोस्तों लोगों की फिक्र करना छोड़िये क्योंकि लोग तो “तब भी कुछ कहते थे जब आप कुछ नहीं करते थे और अब भी कहेंगे जब आप कुछ कर रहे है।”