मोबाइल की लत, सेहत और समय दोनों की बर्बादी | mobile ki lat in hindi
दोस्तों आज की दुनियाँ डिजिटल हो गई है, और आपको पता ही होगा, कि इस डिजिटल दुनियाँ में मोबाइल के बिना हमारा काम नही चल सकता।
लेकिन क्या आप जानते है कि मोबाइल कितनी तेज़ी से हमारी जिंदगी में हावी हो रहा है युवा वर्ग का हाल तो ये है कि घंटे भर भी मोबाइल से दूर रह पाना मुश्किल है। बात करे आज से 8 से 10 साल पहले की तो मोबाइल को सिर्फ बात करने और संचार का एक साधन माना जाता था। पर बात करे आज के समय की तो ऐसी कोई चीज़ नहीं जो मोबाइल में ना हो, यहां तक कि आप इस पोस्ट को भी मोबाइल में ही पढ़ रहे है। किताबें, बैंक, दोस्त, जिम, सब कुछ अब मोबाइल में है।
तो कहने का मतलब ये दोस्तों मोबाइल में दी जाने वाली ये सारी सुविधाएँ लोगों को लिए फ़ायदेमंद तो है, लेकिन हम मोबाइल पर पूरी तरह डिपेंड होते जा रहे है। डिपेंड होना भी कुछ मायनों में सही है, लेक़िन दोस्तों आज कल के लोगों को मोबाइल की लत लग रही है, वज़ह कोई भी हो हर बात पे मोबाइल निकल कर देखना हमारी आदत बन गई है और यहीं आदत अब बदलती जा रही है एक लत में, जी हाँ दोस्तों आपने “नोमोफोबिया” नामक बीमारी के बारे में तो जरूर सुना ही होगा, शुरुआत में यह पश्चिमी देशों में ज्यादातर देखने को मिलती लेकिन अब ये भारत मे भी फैलती जा रहीं है।
बच्चों की बात करें तो मोबाइल की लत बच्चों को भी नहीं छोड़ रही चाहे गेम्स हो या ऐप्स बच्चें भी मोबाइल के दीवाने हुए जा रहे है। युवाओं की बात करे तो महंगे मोबाइल्स उनके लिए आज का फैशन बन गया है। पर यही दीवानगी और फैशन उन्हें मोबाइल की लत में डाल रहा है जिससे आगे चल कर उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रॉब्लम्स बढ़ सकती है।
मैं यह नहीं कह रहा दोस्तों की मोबाइल कोई बुरी चीज़ है, चीज़ अच्छी हो या बुरी जब उसमे अति होने लगती है तब वह घातक हो जाती है कि “अति का अंत बुरा ही होता है”
दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताइएगा और इस पोस्ट को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा।