मन चंगा तो कठौती में गंगा | संत रविदास | Man changa to kathoti mein ganga means
इस बात से हमें ये सीखने को मिलता है की यदि मन प्रसन्न हो तो हमें गंगा तक जाने की जरूरत नहीं, कठौती में ही गंगा प्रकट हो सकती है अंदर से इंसान का मन प्रसन्न होना चाहिए। इसीलिए कहा जाता है हमें हमेशा अपने मन को प्रसन्न रखना चाहिए मन से कभी निराश नहीं होना चाहिए। अपने मन से कभी हार नहीं माननी चाहिए। मन चंगा तो कठौती में गंगा एक छोटा सा वाक्य अपने आप में बहुत बड़ा अर्थ छुपाए बैठा है यदि व्यक्ति का दिल खुश हो तो वह हर समय खुश रह सकता है।
"मन चंगा तो कठौती में गंगा" वाक्य से संत रविदास यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि मन प्रसन्न हो तो कठौती में भी गंगा वास कर सकती है।
हमें हमेशा अपने मन को प्रसन्न रखना चाहिए अंदर से कभी निराश नहीं होना चाहिए। हमेशा प्रयत्न करते रहना चाहिए निश्चित ही हमें एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। ऐसे बहुत से लोग हैं इस दुनिया में जो मन से बहुत प्रसन्न रहते हैं चाहे उन पर दुख का पहाड़ ही क्यों न टूट पड़े वे कभी घबराते नहीं इसीलिए हमें भी ऐसे लोग और संत रविदास से शिक्षा लेनी चाहिए और कभी भी मन से निराश नहीं होना चाहिए। इसीलिए किसी ने यह भी कहा है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।
तो दोस्तों हमेशा संत रविदास के इस वाक्य को ध्यान रखिएगा कि
"मन चंगा तो कठौती में गंगा"