लोग क्या कहेंगे | कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना | log kya kahenge

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लोग क्या कहेंगे | कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना | log kya kahenge

लोग क्या कहेंगे | कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना | log kya kahenge
लोग क्या कहेंगे | कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना | log kya kahenge

जब भी हम कुछ नया करने की सोचते है तो हमारे मन में एक ही ख्याल आता है कि लोग क्या कहेंगे? आखिर ऐसा ऐसा क्यों होता है। चलिए समझते हैं..

इंसान एक सामाजिक प्राणी है और समाज मे ही रहना पसंद करता है। समाज में रहने के कारण इंसान सामाजिक नियमों से बंधा होता है उसे कुछ नया करने से पहले हमेशा सोचना पड़ता है कि लोग क्या कहेंगे। इसी उलझन में फंसे रहने के कारण इंसान कुछ नहीं कर पाता और अपनी ही सोच में फंसा रह जाता है। जब से इंसान समझदार हुआ है तब से उसे शर्म, लज्जा और अपनी इज्जत की फिक्र सताने लगी है समाज में रहते हुए इंसान ने सीखा है कि किस तरह समाज में अपनी एक शख्सियत बनाकर और अपनी इज्जत बना कर रहा जाए। इंसान किसी भी हालात में समाज में अपनी इज्जत नहीं गिरने देना चाहता।

यही बात जब इंसान कुछ नया करने जाता है तब लागू होती है हमेशा कुछ नया करने से पहले इंसान के मन में होता है कि कहीं उसे लोग बुरा भला ना कहें। लेकिन ऐसा नहीं है दोस्तों, दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने समाज से हटके काम किया है और कुछ बन कर दिखाया है हम आज भी उन लोगों का सम्मान करते हैं ऐसे बहुत से राजनेता, विद्वान, वैज्ञानिक और शोधकर्ता रहे हैं जिन्होंने समाज के खिलाफ जाकर काम किया है और अपना नाम रोशन किया है।

एक बात का हमेशा ध्यान रखिएगा दोस्तों यदि लोग क्या कहेंगे यह भी हम सोचेंगे, तो लोग क्या सोचेंगे। इसीलिए लोग क्या सोचते हैं इस बात की फिक्र छोड़ कर अपने काम में जी तोड़ मेहनत करिए लोग तब भी कहेंगे जब आप कुछ नहीं करेंगे और लोग तब भी कहेंगे जब आप कुछ करेंगे तो इससे अच्छा तो यह है कि लोगों को कुछ करके दिखाया जाए चाहे लोग कुछ भी कहें।

इसीलिए कहा जाता है कि "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना" इस बात को और अच्छी तरह समझने के लिए आप नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।

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