कड़वी बातें: ‘हाँथ मेरे पास भी हैं’
दोस्तों कुछ बातें हैं जो मैं आपके साथ शेयर करना चाहता हूं ये बातें कड़वी है पर करेले के जूस जैसी है लगती कड़वी है पर इसके फायदे बहुत हैं:-
जब मैं क्रिकेट में किसी को कैच पकड़ते देखता हूं तब सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं एम एफ हुसैन की सुंदर पेंटिंग देखता हूं तब सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं ओलंपिक में किसी को निशाना साधते देखता हूं तब मैं सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं सीमा पर सैनिकों को बंदूक चलाते देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं किसी टॉपर को एग्जाम में लिखते देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं किसी मुक्केबाज के मुक्के को देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं किसी कलाकार को गिटार बजाते देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
जब मैं शाहरुख खान को हाथ फैलाते देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
और जब सड़क किनारे खड़े हुए किसी भिखारी को हाथ फैला कर भीख मांगते हुए मैं देखता हूं, तब भी मैं यह सोचता हूं, हाथ मेरे पास भी है
और जब कभी मैं किसी बिना हाथ वाले को कोई काम करते देखता हूं तब मैं यह सोचता हूं…..?
दोस्तों जो इस दुनिया में कुछ अलग कर रहे हैं, ढेर सारा पैसा कमा रहे हैं, नाम कमा रहे हैं उनके पास कुछ अलग नहीं है, उनके पास भी हमारी तरह दो हाथ हैं, और उन्ही से वो कमाल दिखा रहे है कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिनके हाथ भी नहीं उन्होंने भी कमाल करके दिखा दिया।
क्योंकि हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ नहीं होता कुछ कर दिखाना है तो दोनों हाथ खोलने होते हैं और मैं तो कहता हूं कुछ कर दिखाने के लिए हाथों की भी जरूरत नहीं बस अंदर एक आग होनी चाहिए।
बस एक बार अंदर की आग भड़क जाए उसके बाद हमें कोई नहीं रोक सकता और आंख भड़कने के लिए चाहिए दोस्तों बस एक छोटी सी चिंगारी, वही चिंगारी पैदा करने की कोशिश मैंने की है अब यह आपके ऊपर है कि आप उस चिंगारी का क्या करते हैं?
धन्यवाद दोस्तों…..