प्रेरक प्रसंग: ‘एक राजा की उल्टी सोच’ | Prerak prasang

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प्रेरक प्रसंग: ‘एक राजा की उल्टी सोच’

बात बहुत पुरानी है उस समय एक राजा था जो हमेशा घोड़े पर घूमा करता था। एक दिन उसने सोचा क्यों ना अपने राज्य का ब्राह्मण पैदल ही किया जाए।

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क्योंकि उस समय जूतों का आविष्कार नहीं हुआ था तो उसे नंगे पैर ही अपने राज्य में घूमना पड़ा जिससे उसके पैरों में काफी सूजन और छोटे आ गई।


अगले दिन उसने अपने मंत्रियों को कहां की पूरे राज्य की सड़कों को चमड़े की एक परत(कार्पेट) से ढक दिया जाए ताकि मुझे पैदल चलने में कोई कष्ट ना हो और मैं अपनी जनता को देख सकूं तभी वहां खड़े एक छोटी सिपाही ने कहा कि महाराज सारे राज्य को चमड़े से ढकने से अच्छा है क्यों ना आपके पैरों को ही चमड़े की एक परत से ढक दिया जाए इससे पूंजी की भी बचत होगी और आपके पैर भी सुरक्षित रहेंगे।


राजा को यह विचार बहुत ही अच्छा लगा उसने अपने लिए चमड़े की परत बनवाई (जूते) और उन्हें उपयोग करने के बाद उसने पूरे राज्य के लिए जूते बनाने का फैसला लिया।


दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी अपने द्वारा सोची गई बात को दोबारा एक बार और दूसरे पहलू से जरुर सोच लेना चाहिए।


दोस्तों आपको यह प्रेरक प्रसंग कैसा लगा मुझे कमेंट में जरूर बताइएगा


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