क्या आप ज्यादा सोचते है ? kya aap jyada sochte hain

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क्या आप ज्यादा सोचते है ?

आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी, परिवार की फ़िकर, रोज़गार की चिंता, पैसों की प्रॉब्लम, वज़ह कोई भी हो सब का सीधा असर हमारे दिमाग़ में होता है और जब कोई बात दिमाग़ को बार-बार तंग करती है तब हमारा दिमाग़ उस बात के बारे में ज्यादा सोचने लगता है।


दोस्तों सोचना ठीक है, लेकिन ज़्यादा सोचना ज़रा भी ठीक नहीं। क्योंकि सोंचने का काम हमारे दिमाग का है लेकिन जब हम ज्यादा सोचते है तब दिमाग के साथ-साथ हमारा शरीर भी उस बात को ले कर सतर्क हो जाता है, आपने धड़कन, डर, पसीना, बेचैनी, घबराहट ज्यादा सोचते समय महसूस की होगी, इसका मतलब हमारी सोच में दिमाग़ के साथ शरीर भी शामिल हो जाता है। इसी को ‘ज्यादा सोचना या ओवर थिंकिंग’ कहते है।

क्या आप ज्यादा सोचते है ? kya aap jyada sochte hain

जब हम किसी बात को सोचते है तब हम उससे होने वाले फायदों और नुकसान दोनों के बारे में सोचते है, लेकिन ज्यादा सोचने पर हम नुकसान और नेगटिव पॉइंट के बारे मे सोचते है, ज्यादा सोचने वाले हल्के सर दर्द को भी ब्रेन ट्यूमर समझने लगते और सोचते है कि मुझे बड़ी बीमारी हो गई है, अब क्या होगा, मैं मर जाऊंगा, और फिर वही लक्षण धड़कन, डर, पसीना, बेचैनी, घबराहट, और ऐसे लक्षण इंसान को और डरा देते है। और फिर वह पहले से भी ज्यादा सोचने लगता है।

और ज्यादा सोचने की बीमारी को कोई भी डॉक्टर ठीक नहीं कर सकता ये ठीक होगी तो अपनी कुछ आदतों को सुधार कर:-


  • पहली बात तो ये क़बूल करे कि आप ज्यादा सोचते है।

  • अपनी सोच को कन्ट्रोल करने की कोशिश करे।

  • छोटे और खुशी देने वाले कामों में व्यस्त रहे।

  • परिवार के साथ समय बिताए।

  • थोड़ा समय छोटे बच्चों व बुज़ुर्गों के साथ भी गुज़रे।

  • ध्यान और योगा करे।

  • भोजन हल्का खाये।

  • कसरत और व्यायाम की आदत डालें भले ही दिन में 30 मिनिट।


तो दोस्तों आज से आप भी ज्यादा सोचना बंद करें, क्योंकि सोचने वाले सोचते रह जाते है, करने वाले कर जाते है।

“व्यस्त रहो, मस्त रहो”


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