कबीरवाणी: ‘कितने पैसे कमाने है आपको’ | kabir vani
दोस्तों हमारे जीवन से जुड़ी कई बातों को कबीर दास जी ने आज से कई सौ साल पहले ही बता दिया था, लेकिन हम ही नादान और मूर्ख हैं जो उन बातों को समझने में इतनी देर कर दी.
दोस्तों कबीर दास जी ने अपने एक दोहे में कहा था कि:-
साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥
अर्थात कहने का मतलब हे भगवान मुझे इतना दीजिए कि जिसमें मेरा घर चल सके, मेरे खर्चे चल सके, मेरे बच्चे पढ़ सके, खा सकें और थोड़ा इतना ज्यादा दीजिए, कि कोई भी मेरे घर में आए मुझसे मांगने तो वह खाली हाथ लौट कर ना जाए ल, मेरे पास इतना हो कि मैं उसको दे सकूं।
बस दोस्तों यही छोटी सी बात हमारे लिए एक बहुत बड़ी बात है, आज हर एक इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है और पैसे के पीछे भागने वाला पैसे कमा भी लेता है, लेकिन दोस्तों आपने देखा होगा ज्यादा पैसे कमा लेने वाले लोग जीवन को अच्छी तरह जी नहीं पाते, वे इस दुनिया की सारी सुख सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पाते कहने के लिए उनके पास पैसे तो होते हैं पर उन पैसों की भीड़ भाड़ में खुशियां कहीं खो सी जाती हैं।
2 मिनट आप अपने आसपास के पैसे वाले लोगों के बारे में सोच कर देखिए क्या वह खुश हैं, नहीं दोस्तों उन्होंने सिर्फ खुशी का मुखोटा पहना हुआ है ना वे घूम पा रहे हैं ना अपनी जिंदगी को खुशहाल तरीके से जी पा रहे हैं। ज्यादा पैसे होना भी दुख का एक कारण है।
और जिस तरह ज्यादा पैसे हमारे लिए अच्छे नहीं होते उसी तरह पैसों का ना होना भी हमारे लिए अच्छी बात नहीं।
इसीलिए कबीरदास जी ने कहा है कि पैसे उतने ही कमाओ जितने जरूरी हैं
आपने देखा होगा मध्यम वर्गीय लोग हमेशा अपने आप को कोसते रहते हैं और कहते रहते हैं, कि हम मिडिल क्लास लोग हमेशा मुसीबत में रहते हैं लेकिन दोस्तों आप गौर करके देखिए खुश रहने वाले लोग भी मिडिल क्लास ही होते हैं क्योंकि उनके पास उनकी जरूरत के हिसाब से ही पैसे होते हैं ‘ना तो कम और ना ही ज्यादा’ जो खुशी और मन की शांति के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।