‘ग़ालिब’ के कुछ शेर, केवल समझदार लोगों के लिये | Mirza Ghalib ke sher in hindi
मिर्जा गालिब का जन्म 1797 आगरा में हुआ, दोस्तों मिर्जा गालिब के पास उस समय इतना ज्ञान था जितना कि आज के समय में भी लोगों के पास नहीं, उस जमाने में ही मिर्जा गालिब ने प्यार, समाज और सिस्टम को चैलेंज करना शुरू कर दिया था:-
“उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा,
धुल चेहरे पर थी आईना साफ़ करता रहा”
ग़ालिब कहते हैं कि मैं सारी उम्र दूसरों में कमियां और गलतियां खोजता रहा, अपनी असफलताओं के लिए भगवान या खुदा को जिम्मेदार ठहराता रहा, लेकिन असल बात तो यह है कि जो भी कमियां हैं मुझ में है और जो भी गलतियां की है वह मैंने खुद ने की है।
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है”
हम सभी को पता है मरने के बाद क्या होता है हम सभी जानते हैं स्वर्ग नर्क और जन्नत जहन्नम की सच्चाई लेकिन फिर भी ग़ालिब कहते हैं कि दिल को खुश रखने के लिए के लिए यह ख्याल अच्छा है।
वरना हम भी आदमी बड़े काम के थे”
गालिब ने इस शेर को पूरी तरह से मजनू टाइप के लोगों के लिए लिखा है, उनका कहना है कि हर काम के इंसान को इश्क निकम्मा बना देता है, और फिर वह किसी काम के लायक नहीं रहता।
वो समझते है की बीमार का हाल अच्छा है”
कभी-कभी हम सबके साथ ऐसा होता है कि जब हम बीमार होते है और जिसे हम चाहते हैं या जिससे हम प्यार करते हैं चाहे वह फिर मां-बाप ही क्यों ना हो उन्हें देखने के बाद हमारे चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान जरूर आ जाती है और उन्हें लगता है कि हमारा हाल अच्छा है।
जो लगाये ना लगे बुझाये न बुझे”
ग़ालिब कहते हैं कि प्यार पर किसी का जोर नहीं चलता प्यार होना होता है तो हो ही जाता है, गालिब ने यहां पर प्यार की तुलना एक ऐसी आतिशबाजी से की है जिसे जलाना तो मुश्किल होता है लेकिन यदि एक बार जल जाए तो फिर बुझाना मुश्किल होता है।
लेकिन आज क्या हुआ, कि हम जाते थे और वो निकले”
वाइज़ का मतलब होता है शरीफ आदमी, शरीफ इंसान जो कि कभी दारु नहीं पीता 1 दिन पता नहीं क्या हुआ कि जब मैं पीने जा रहा था तब वाइज वहां से निकला। इस शेर में समझाया गया है कि सभी के दिन एक से नहीं होते।
“हाथों की लकीरों पे मत जा ‘ग़ालिब’
नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते”
दोस्तों मेरे हिसाब से तो इस शेर का मतलब समझाने की जरूरत तो बिल्कुल भी नहीं। एक बार फिर से पढ़िए समझ में आ जाएगा।
“ग़ालिब पीने दे शराब मस्ज़िद में बैठ कर,
या वो जगह बता, जहां ख़ुदा नहीं।”
वो कहते हैं ना दोस्तों कि भगवान या खुदा कण-कण में बसा हुआ है तो फिर यदि हमें कुछ बुरा काम करना है तो हम कहां जाकर करें ग़ालिब इस शेर में एक प्रश्न किया है।
दोस्तों आपको गालिब का कौन सा शेर पसंद है कमेंट में जरूर शेयर कीजिएगा।