प्रेरक प्रसंग: ‘अर्जुन और तोते की आंख’ | Arjun aur tote ki ankh

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प्रेरक प्रसंग: ‘अर्जुन और तोते की आंख’

दोस्तों महाभारत के समय द्रोणाचार्य को धनुर्विद्या का सबसे बड़ा गुरु माना जाता था, कौरव और पांडव उनके शिष्य थे इन सभी भाइयों में उनके सबसे प्रिय शिष्य अर्जुन थे, वे जानते थे कि अर्जुन में ही वो गुण हैं जो उसे सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाएंगे।


एक बार की बात है गुरु द्रोणाचार्य सभी भाइयों को लेकर बाहर मैदान में आए, और उन्होंने एक पेड़ की ऊंची शाखा पर तोते का एक खिलौना रख दिया, और सभी शिष्यों को धनुष तान लेने को कहा, इसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने सभी शिष्यों को आदेश दिया कि आप सभी उस पेड़ पर रखें उस ‘तोते की खिलौने की आंख पर निशाना साधो’

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सभी शिष्यों ने निशाना साधा और गुरु के आदेश का इंतजार करने लगे….


इसके बाद गुरु ने सभी शिष्यों से एक-एक करके पूछा कि “तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?” कुछ शिष्यों ने कहा मुझे पेड़-पौधे, आकाश-धरती, आपके चरण, मेरे भाई और मेरे साथी गण दिखाई दे रहे हैं।


गुरु ने सभी से इसी तरह का प्रश्न पूछा कि “तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?” और सभी के उत्तर लगभग मिलते जुलते थे।


आखिर में उन्होंने अर्जुन से पूछा कि “हे अर्जुन तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?”


अर्जुन ने बहुत ही गंभीर स्वर के साथ कहा “गुरुदेव मुझे सिर्फ तोते की आंख दिखाई दे रही है”


इसके बाद गुरुदेव ने कहा कि “हे अर्जुन छोड़ दो अपना तीर”

अर्जुन ने अपना तीर छोड़ा और तोता टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया!


दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने आसपास चल रहे फालतू के कामों में, फालतू की प्रक्रियाओं में अपना ध्यान नहीं भटकाना चाहिए।


आप इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि किसी और के साथ क्या हो रहा है इससे आपका ही समय और जीवन दोनों बर्बाद हो रहा है दोस्तों…


आपने क्या शिक्षा ली अर्जुन के इस प्रसंग से मुझे कमेंट पर जरूर बताइएगा


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