भारत में नदियों को माता का दर्जा क्यों दिया जाता है Bharat me nadiyon ko maa kyo kaha jata hai
इसमे कोई दो राय नहीं की पूरे भारत वर्ष में बड़ी नदियों को माता कह के संबोधित किया जाता है, और ज्यादातर नदियों के नाम का जेंडर भी महिलाओं के नाम से मिलता जुलता रहता है जैसे-
गंगा नदी
यमुना नदी
सरस्वती नदी
क्षिप्रा नदी
नर्मदा नदी
गोदावरी नदी
कावेरी नदी आदि
ऊपर दी गई सभी नदियां भारत की प्रमुख नदियां हैं, सभी नदियों का नाम महिलाओं के नाम पर है और सभी को माँ (mother) यानी कि माता का दर्जा प्राप्त है सभी नदियों को माँ मान कर उन्हें पूजा भी जाता है। हिन्दू धर्म मे तो नदियों को देवियों का रूप माना जाता है। आपने मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम का वो गाना तो सुना ही होगा "भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं" इस गाने में एक लाइन है जिसमें कहा गया है "इतनी ममता नदियों को भी जहां माता कह के बुलाते हैं, इतना आदर इंसान तो क्या पत्थर भी पूजे जाते हैं" अब बात करते हैं कि इस सब की शुरुआत कहां से हुई?
शुरुआत कहाँ से हुई- आदिकाल में जब इंसान जंगलों में रहा करता था तब उसे सबसे ज्यादा जिस चीज की जरूरत थी वो था पानी, जो उन्हें मिलता था नदियों से उस समय मीठे पानी का स्रोत सिर्फ नदियां हुआ करती थी उस समय कुएं और नल की कोई व्यवस्था नहीं थी तो आदि काल में मानव को जहां पर नदी मिला करती थी वे वहीं पर बस जाया करते थे और नदियों को मां समान माना करते थे।
धीरे-धीरे समय के साथ जब इन नदियों का नामकरण हुआ तो इन्हें मां के नाम से ही पुकारा गया। दोस्तों एक बात और मैं आपको बता दूं कि नदियों का नाम इंपोर्टेंट नहीं है इंपॉर्टेंट है नदियों में बहने वाला पानी इसीलिए हमें पानी को कभी दूषित नहीं करना चाहिए आदि काल में हमारे पूर्वज इस बात को समझते थे इसीलिए वे नदियों को माता के समान मानते थे और उन्हें पूजा करते थे उनके जल को कभी गंदा नहीं किया करते थे ऐसी सोच हमें भी रखनी चाहिए।
तो दोस्तों बस यही के कारण था जिसके कारण से भारत में नदियों को माता या मां के नाम से पुकारा जाता है।
बहुत ही अच्छी बात है
ReplyDeletetnx भाई
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