दीवाली की रात ताश और जुआ क्यों खेलते हैं
दोस्तों दीपावली खुशियों और दीपों का त्यौहार है इसे लोग बुराई पर अच्छाई की जीत मानकर हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं, खुशियां बांटते हैं मिठाई खाते हैं और पटाखे चलाते हैं।
आपने सुना होगा कि दीवाली की रात ताश खेलना आम बात है कुछ लोग इसे शौक के रूप पर खेलते हैं और कुछ लोग अपनी जुआरी आदत से मजबूर होते हैं, कुछ जुआरियों का तो मानना है कि इस दिन ताश और जुआ खेलने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं!
दीवाली की रात जुआ क्यों खेलते हैं-
दोस्तों हिंदू पौराणिक कथाओं और दंत कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की दीवाली की रात भगवान शिव और माता पार्वती ने पूरी रात चौसर खेला था (चौसर एक बहुत ही पुराना गेम है जिसे महाभारत में भी खेला गया था) ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती और शिव जी ने सारी रात चौसर खेला था और माता पार्वती इस खेल को खेलने के बाद बहुत ही खुश हुई थी और उन्होंने कहा था की दीवाली की रात को चौसर या कोई भी जुए से संबंधित खेल खेलने वाले को असीम सुख समृद्धि और धन का लाभ होगा।
लेकिन दोस्तों शिव और पार्वती जी के द्वारा जुआ खेलने का ठोस तत्व किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता ये पौराणिक कथाओं और दंत कथाओं में ही सुनने को मिलता है। हम अपनी पुरानी परंपराओं की बुराई तो नहीं कर रहे लेकिन जुआ खेलना कहीं से भी अच्छी बात नहीं इसका खामियाजा कितना बुरा हो सकता है हम महाभारत में देख चुके हैं।
दोस्तों कोशिश करें दीपावली में जुए और ताश से बचने की और अपने परिवार वालों तक भी इस बात को पहुंचाएं और उन्हें भी जुए और ताश से दूर रखें।
इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी इस तरह की लत से और जुआरीपन से छुटकारा मिल सके।
“दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं”