कैसे रोकें मन की बक बक को | How Do You Stop the Mind's Chatter | ज्यादा सोचना | Overthinking

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क्यों भटकता है आपका मन ? Overthinking


दोस्तों क्या आप जानते है कि क्यों हम अपने मन को काबू में नही रख पाते ? और क्यों बन जाते है हम अपने ही मन के गुलाम ? 

इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं “दोस्तों हमारे मन यह निर्णय लिया कि कल सुबह 5 बजे उठ कर योगा करना है पक्का, लेक़िन अगली सुबह 5 बजे हमारे मन ने ही हम से कहाँ आज रहने दे कल से करते है, और जब दोपहर हुई तब हमारे दिमाग़ ने ही हमे शर्मिंदा करना शुरू कर दिया कि मैं कैसा इंसान हूँ एक काम नहीं कर पाया, मैं कुछ नहीं नहीं कर सकता। और हमारा मन अगले दिन के लिए फ़िर से नया निर्णय लेता है और यही सब बार-बार रिपीट होता रहता है।

तो दोस्तों कहने का मतलब-

1.वो हमारा मन ही था जिसने सुबह उठने का निर्णय लिया, 

2.वो भी हमारा मन ही था, जिसने उठने से मना किया, 

3.और वो भी हमारा मन ही था जिसने बाद में हमें शर्मिंदा किया। 

दोस्तों इस तरह हम देख सकते हैं, कि कैसे हमारा मन तीन भागों में बटा हुआ है, इसी कारण हमारा मन परिस्थितियों के अनुसार अपने निर्णय को बदलता रहता है और हमारा ध्यान अपने काम से भटक जाता है क्योंकि हमारे मन को हमारी भावनाओं के साथ खेलना पसंद है, हर प्रकार के इमोशन से खेलना हमारे दिमाग को पसंद है, हमारे दिमाग को दुखी होना भी पसंद है, उदास होना भी पसंद है, प्यार भी पसंद है, मोहब्बत भी पसंद है, और नफरत भी पसंद है।

दिमाग कभी भी एक इमोशन के साथ नहीं रहता। हमारे दिमाग को हर तरह के इमोशन या भावनायें चाहिए। इसीलिए हमारा दिमाग अलग अलग तरह की इमोशन को खोजने के लिए भटकता रहता है क्योंकि वह एक इमोशन के साथ नहीं रह सकता। तो दोस्तों आप समझ सकते है कि किस तरह हम अपने ही मन के जाल में फसे हुए है।

और इस सब से बचने का एक ही रास्ता है ध्यान या मेडिटेशन भले ही 10 मिनिट कीजिये पर रोज़,

फिर देखिए आपका मन, आपका ग़ुलाम बन जायेगा। और दोस्तों आप अपने मन को ग़ुलाम बना लें इससे बड़ी जीत आपको कभी नहीं मिल सकती।


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